राजस्थान के अलवर में गौ तस्करी के आशंका में हुए हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि एक दूसरे की आस्था का ख्याल रखकर ही सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत किया जा सकता है। श्री कटियार ने मंगलवार को यहां सर्किट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि गाय हिंदू समाज के लिए पूज्य है, अल्पसंख्यक समुदाय को इसका खयाल करना होगा। उन्हे समझना चाहिए कि गाय की हत्या नहीं हो सकती क्योंकि लोग जागरुक हो चुके हैं। गायों की हो रही हत्याओं को लेकर लोगों में आक्रोश है। लोगों को एक दूसरे की आस्था का बराबर ख्याल रखना चाहिए।  एक निजी कार्यक्रम में भाग लेने आये भाजपा नेता ने कहा कि यह उचित नहीं है कि गाय की हत्या पर कोई न/न बोले हालांकि गौ हत्या को लेकर “मॉब लांचिंग” जैसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। लोगों को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। राजस्थान के अलवर में पिछले दिनों हुई घटना में पुलिस की लापरवाही सामने आयी है। उन्होंने कहा कि पुलिस समय रहते पीड़ित को अस्पताल ले जाती तो शायद यह हादसा नहीं होता। यह जांच का विषय है। दोषी लोगों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

एक सवाल के जवाब में कटियार ने कहा कि “मॉब लांचिंग यानी भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मारने” जैसी घटनाए कहीं भी नहीं हो रही हैं, मॉब लाचिंग का आरोप लगाना सरकार को बदनाम करने की मुहिम का हिस्सा है। मीडिया को भी ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग संयम पूर्वक करनी चाहिए। भाजपा नेता ने कहा कि मुस्लिम भी गाय पाले, उनका भी स्वागत है लेकिन गौ हत्यारों के साथ किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं हो सकती। उन्होंने हिंदू समाज के नौजवानों से कहा कि उन्हे गौ रक्षा के लिए पुलिस की सहायता लेनी चाहिए ताकि दोषियों को विधिसम्मत दण्डित किया जा सके। गौरतलब है कि पिछले शनिवार को अलवर में गोतस्करी के शक में रकबर नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी गयी थी।

वरिष्ठ नेता ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर कहा कि जरूरत पड़ी तो अबकी बार 1992 से भी ज्यादा संघर्ष होगा। उन्होंने कहा कि बाबर ने राम मंदिर तोड़ने के लिए किसी अदालत का आदेश नहीं लिया था। हमें श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर न्यायालय में चल रहे मामले के फैसले का सम्मान करना चाहिए। न्यायालय के परिणाम आने के बाद विचार किया जायेगा कि क्या करना है। श्री कटियार ने उच्चतम न्यायालय में बौद्ध मतालम्बियों के दावे पर कहा कि श्रीराम मंदिर का मुद्दा न्यायालय से परे है। भगवान राम अनादिकाल के हैं और भगवान बुद्ध की गिनती बाद में आती है।

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