दिल्ली हाई कोर्ट ने बाम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट को चुनौती दी गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा, कि उस देश में भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है, जिस देश की सरकार लोगों को भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा, कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से नहीं, बल्कि भारी जरूरत के कारण भीख मांगता है। ऐसे में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी में कैसे रखा जा सकता है। बता दें कोर्ट ने यह बात उन दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहीं, जिनमें भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखे जाने की अपील की गई थी।

चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने कहा, कि एक व्यक्ति केवल भारी जरूरत की वजह से ही भीख मांगता है न कि अपनी पसंद की वजह से। बेंच ने कहा, ‘कि अगर कोई हमें या आपको( कोर्ट और केंद्र सरकार) एक करोड़ रुपए भी दे तो भी हम भीख नहीं मांगेंगे। ऐसा करने के लिए लोगों को भारी जरूरतों के बाद ही मजबूर होना पड़ता हैं। ऐसे में कुछ लोग अपना पेट भरने के लिए हाथ पसारते हैं। उन्होंने आगे कहा, एक ऐसा देश जहां सरकार भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ है वहां भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है।

गौरतलब है कि हाई कोर्ट में हर्ष मंदर और कर्निका द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिका में बाम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट को चुनौती दी गई थी। याचिका में एक्ट पर रोक लगाने और भिखारियों को बुनियादी सुविधाएं मुहैयां कराने की मांग की गई थी।

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