पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के जेल जाने के बाद पनामा पेपर्स फिर चर्चा में आ गए हैं। पाकिस्तानी न्याय तंत्र की इस मायने में तारीफ होनी चाहिए कि उसने इस मामले को रफा-दफा नहीं होने दिया। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ को पहले कोर्ट के दबाव में पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर 10 साल की सजा सुनाए जाने के बाद जेल जाना पड़ा है।

अप्रेल, 2016 में पनामागेट सामने आने के बाद दुनिया भर के कई धन कुबेरों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने अपना कालाधन सरकार से छिपा कर टैक्स हैवन माने जाने वाले देश, पनामा में जमा कराया ताकि टैक्स न देना पड़े। पनामा में विदेशी निवेश पर कोई टैक्स नहीं लगता।

विदेशों में काला धन जमा करने वालों की इस काली फेहरिस्त में दुनिया के पचास से ज्यादा मौजूदा या पूर्व हो चुके राष्ट्र प्रमुखों ने फर्जी कंपनी बनाकर अपना पैसा रखा है। जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबियों से लेकर सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक, लीबिया के गद्दाफी, आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिंगमुंदुर दावी गुणलुन और उनकी पत्नी, अभिनेता जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम शामिल है। इस मामले में कई देशों में कार्रवाई की गई है, मसलन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने यहां जांच के आदेश दिए हैं, तो आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

पनामा पेपर लीक मामले में भारत के दामन पर भी छींटे पड़े हैं। कई भारतीय कारोबारियों सहित दूसरी हस्तियों के नाम सामने आए हैं। इनमें पीवीआर सिनेमा के मालिक अजय बिजली और उनके परिवार के सदस्य, हाइक मैसेन्जर के सीईओ और टेलीकॉम दिग्गज सुनील मित्तल के बेटे कवीन मित्तल, एशियन पेंट्स के सीईओ अश्विन दानी के बेटे जलज दानी शामिल हैं। साथ ही सन ग्रुप के प्रमुख नंदलाल खेमका के बेटे शिव विक्रम खेमका, सुपरस्टार अमिताभ बच्चन, उनकी बहू एश्वर्या राय बच्चन, डीएलएफ समूह के प्रमुख केपी सिंह, लोकसत्ता पार्टी के पूर्व नेता अनुराग केजरीवाल, मेहरासन्स ज्यूलर्स के मालिक नवीन मेहरा, अंडरवर्ल्ड डॉन इकबाल मिर्ची की पत्नी, हाजरा इकबाल मेमन, उद्योगपति गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी, इंडिया बुल्स के समीर गहलोत, क्रॉम्पटन ग्रीव्ज के गौतम थापर, करण थापर का नाम होने का जिक्र है। कुछ राजनेताओं के भी नाम इस लिस्ट में बताए जा रहें हैं।

पूरे मामले पर केन्द्र सरकार ने अभी तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की है। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल में बयान दिया कि पनामा पेपर्स मामले की सरकार जांच करा रही है, लेकिन पाकिस्तान की तरह बिना उचित जांच के किसी को सजा नहीं दी जाएगी। । बैंकिंग रेग्युलेशन बिल पर बहस के दौरान  पनामा पेपर लीक का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि सभी अकाउंट की जांच हो रही है। जेटली ने अपने जवाब में कहा कि टैक्स अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं और जहां कागजात मिल गए हैं वहां अभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि एक बार अभियोग दाखिल होने के बाद नामों का खुलासा करने में कोई हर्ज नहीं होगा।

दरअसल केंद्र सरकार ने काले धन की जांच के लिए मल्टी एजेंसी ग्रुप गठित किया है जिसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और फाइनेंशियल  इटेलिजंस यूनिट को शामिल किया गया है। यह ग्रुप पनामा दस्तावेजों के लीक मामले की भी जांच कर रहा है।

जिन लोगों के नाम सामने आए उनमें से 450 को क़ानूनी नोटिस भी भेजा जा चुका है और जवाब तलब किए गए हैं। उधर जांच में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जतायी है और सरकार से मामले की पूरी जानकारी मांगी है। कहने में कोई हर्ज नहीं कि अब समय आ गया है कि पनामा पेपर्स मामले की विस्तृत और शीघ्र जांच हो। इस मामले की जांच, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित एसआईटी तय समय में पूरी करे और जांच में जो भी दोषी साबित हों, उन पर सरकार कड़ी कार्यवाही करे।

—कृष्ण रजित

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