उत्तराखंड में बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी के हाथों मुंह की खानी पड़ी…बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर सीटें मिली तो सत्ता की मलाई खाने वाली कांग्रेस को जनता ने हाशिये पर फेंक दिया…यहां तक कि बीजेपी की शानदार जीत से कांग्रेस की मजबूत जड़ें हिल गईं…मोदी लहर के बूते बीजेपी को मिली बड़ी कामयाबी को साल भर से ज्यादा समय बीत चुका है…ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर से अपनी खोई साख वापस पाने के लिए छटपटा रही है…

नगर निकाय चुनाव से पहले ही कांग्रेस का लिटमस टेस्ट होना है…बीजेपी विधायक मगनलाल शाह के निधन से खाली हुई थराली सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत के लिए कांग्रेस सभी दांव आजमा रही है…क्योंकि, कांग्रेस कैंडिडेट पूर्व विधायक जीतराम आर्य यहां जीतेंगे तो त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा जनादेश माना जाएगा, फजीहत होगी सो अलग और कांग्रेस हारती है तो निगम चुनाव से लेकर सूबे की जनता का रूझान उसे पता चलेगा…

ऐसे में थराली विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन गया है…ऐसे में कांग्रेस के सामने खोई प्रतिष्ठा वापस पाने की चुनौती खड़ी है…जबकि बीजेपी ने अब तक अपने कैंडिडेट के नाम पर चुप्पी साध रखी है…

नए मुखिया प्रीतम सिंह को भी अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा…ऐसे में कांग्रेस बदरीनाथ और केदारनाथ धाम से सटी थराली विधानसभा सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है…क्योंकि, यहां जीतने पर कांग्रेस अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में भी बीजेपी के विजय रथ को थामने के एक मजबूत संदेश देने की रणनीति बना सकने के हालत में होगी…कांग्रेस ने थराली सीट पर पूर्व विधायक जीतराम आर्य को इस उपचुनाव में मैदान में उतारा है…

ऐसे में थराली सीट की जंग सिर्फ एक सीट तक सीमित नहीं है बल्कि इसके कई बड़े सियासी मायने हैं…इसे सताधारी और डबल इंजन की बीजेपी सरकार बकऊबी समझती है…इसलिए फूंक-फूंक कर एक-एक कदम आगे बढ़ा रही है…भगवा दल जीत सुनिश्चित करने वाले उम्मीदवार की तलाश में है…क्योंकि, थराली सूबे की सियासत में सिर्फ एक सीट भर नहीं है…

कुमार मयंक एपीएन

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