अपने अपने क्षेत्रों में महारत हासिल करने वाले दिवा रेखा और सचिन तेंदुलकर संसद की हाजिरी में फिसड्डी है। सदन में दोनों की सीट खाली ही नजर आती है। पार्टियों में मौजूद रहने के लिए दोनों के पास भले ही कितना भी समय हो मगर सदन की चौखट पर कदम रखने से परहेज करते हैं।

रेखा और सचिन को हद से ज्यादा बंक मारने वाले सांसदों में शुमार किया जाता है जिनका सदन की चर्चा में शामिल होना तो दूर सदन में हाजिर होना ही बड़ी बात है। राज्यसभा में गुरुवार को समाजवादी पार्टी के सदस्य नरेश अग्रवाल ने इस मुद्दे को शून्यकाल में जोर शोर से उठाया और उनकी गैरहाजिरी पर ऐतराज जताया। नरेश अग्रवाल ने कहा कि सदन में 12 नामांकित सदस्य होते हैं जो अलग अलग क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन पिछले कई सदनों से  इनके दर्शन तक नहीं हुए। अगर उनकी रुचि नहीं है सदन में हाजिर होने की तो उनको अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

नरेश अग्रवाल ने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर (व्यवस्था के प्रश्न) के तहत यह मुद्दा उठाया था, इस पर उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि यह प्वाइंट ऑफ ऑर्डर नहीं है, इसके लिए आप उन सदस्यों को हाजिर होने के लिए मना सकते हैं तो अग्रवाल ने कहा कि अगर उपसभापति का यह सुझाव है तो वह सदस्यों को इस मुद्दे पर चिट्ठी लिखेंगे।

बता दें कि यह पहली दफा नहीं है कि रेखा और सचिन की गैरहाजिरी को लेकर सदन में सवाल उठाया गया हो। 2014 में भी दोनों की अटेंडेंस रिपोर्ट पर चर्चा की गई थी और राज्यसभा के बाकि सदस्यों ने सवाल उठाए थे। अगर देखा जाए तो इस तरह सदन में शरीक न होना राज्यसभा के सांसद के पद की गरिमा का अपमान है।

गौरतलब है कि इस समय राज्यसभा में 12 मनोनीत सदस्य हैं जिनमें सचिन तेंदुलकर, रेखा, अनु आगा, संभाजी छत्रपति, स्वप्न दासगुप्ता, रूपा गांगुली, नरेंद्र जाधव, एमसी मैरीकॉम, के पारासरन, गोपी सुरेश, सुब्रमण्यन स्वामी और केटीएस तुलसी शामिल हैं।

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