आज विश्व जल दिवस है और पानी की कीमत समझनी है तो मध्यप्रदेश के विदिशा चले आइए… विदिशा का पुरागोसाई गांव सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहा है… गांव में पानी की समस्या इतनी विकराल हो चुकी है कि यहां पानी दुनिया की सबसे बेशकीमती चीज बन गई है…गांव के तालाब और कुएं सूख चुके हैं… पूरे गांव में पीने के लिए पानी नहीं है…ना तो पीने के लिए पानी और ना ही दिनचर्या के लिए पानी… ऐसे में सुबह होते ही गांव के लोग पानी की मटकी लेकर निकल पड़ते हैं…
गांव से 2 – 3 किलोमीटर दूर चल कर सूख चुके तालाब में हाथों से गड्ढे खोद कर इससे पानी भरने को मजबूर हैं पुरागोसाई गांव के लोग… तालाब में बने गड्ढे ग्रामीणों के पानी का मुख्य स्रोत बन गए हैं… 3 से 5 फीट गहरे इन गड्ढों में से पानी भरकर टेढ़े.मेढ़े रास्तों को पारकर घर में पानी लाना यहां के लोगों की मजबूरी है… गांव में तालाब का पानी सूख चुका है, एक हैंडपंप है वो भी सूख गया है पानी की टंकी मात्र शोपीस बनी हुई है अब सूख चुके तालाब में गड्ढे खोदकर गांववाले वो पानी पी रहे हैं, जो जानवर भी नहीं पाना चाहें…लेकिन गोसाई गांव के लोग उस दूषित और बदबूदार पानी को मजबूर हैं।
गांव में सुबह से पानी भरने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो कि दोपहर तक चलता है पानी भरने के चक्कर में ग्रामीण मजदूरी को भी नहीं जा पाते…ऐसे में पानी के चक्कर में इनका रोजगार छिन रहा है….विदिशा जिले का पुरागोसाई गांव सालों से पानी की किल्लत से जुझ रहा है… जिन लड़कियों की यहां शादी हुई उनकी पूरी जिंदगी निकल गई दूर से पानी भरने में… ऐसे में अब पानी की वजह से यहां सामाजिक समस्या भी पैदा हो गई है… लोग इस गांव में अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते और इसी कारण गांव के लड़कों की शादी नहीं हो रही… इस गांव में कुंवारों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है
कहने को तो लाखों रूपये खर्च करके गांव में पानी की टंकी और पाइपलाइन डाली हुई है लेकिन इस पानी की टंकी में बरसों से पानी आया नहीं है… लोगों के घरों में लगे पानी की टोटियां पानी के इंतजार में जंग खा रही हैं … लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यहीं है कि आसपास जब जल के स्रोत ही खत्म हो गए हैं पानी आए भी तो कैसे… विदिशा में पानी की किल्लत इंसानों को जानवरों सी जिंदगी जीने पर मजबूर कर रही है, ऐसे में वक्त रहते हमने पानी के मोल को नहीं समझा तो एक दिन पूरी दुनिया की ऐसी ही तस्वीर होगी
ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन