भारत सरकार इस वक्त रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर बेहद गंभीर नजर आ रहा है। जब मानवाधिकार संगठनों ने भारत सरकार से रोहिंग्या मुसलमानों को देश में पनाह देने की बात कही तो भारत सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान अवैध प्रवासी हैं इसलिए कानून के मुताबिक उन्हें देश से बाहर किया जाना चाहिए। इसके अलावा भारत सरकार ने ये भी कहा है कि ये शरणार्थी देश की आंतरिक सुरक्षा में खतरा पैदा कर सकते हैं। ऐसे में इन्हें वापस म्यांमार भेज देना चाहिए। लेकिन भारत सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कैसे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस अपने देश भेजे।

हाल ही में म्यांमार की नेता आंग सांग सू ची ने देश को संबोधित करते हुए कहा था कि जो भी रोहिंग्या मुसलमान देश छोड़कर अन्य देशों में जाकर बसे हैं वे वापस म्यांमार आ सकते हैं उनके लिए म्यांमार रिफ्यूजी वेरिफिकेशन प्रोसेस के लिए तैयार है। बता दें लगभग 4 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान अपने देश म्यांमार को छोड़कर अलग-अलग देशों में शरण ले रहे हैं।

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म्यांमार में हिंसा फैलने के बाद रोहिंग्या मुसलमान भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल जैसे कई देशों में जाकर बस गए हैं। आपको बता दें अब तक थाईलैंड ऐसा देश है जो इन शरणार्थियों को वापस भेजने में हद तक कामयाब हो सका है। लेकिन अन्य देशों में रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी के तौर पर अभी भी रह रहे हैं। इस दौरान रोहिंग्या मुसलमान भारत के अलग अलग प्रांतों में शरण लिया हैं।  जिसे लेकर भारत सरकार बेहद ही चिंतित है। क्या भारत सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देश से वापस भेजने के लिए थाईलैंड का रास्ता अपनाएगा?

दरअसल थाईलैंड ने रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने में हद तक कामयाब हुआ है। अब तक थाईलैंड से 1300 रोहिंग्याओं वापस जा चुके हैं। उसने रोहिंग्याओं के साथ ना तो जबर्दस्ती की और ना ही उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया। 2014 में थाईलैंड ने रोहिंग्याओं को वापस भेजने का फरमान जारी किया था। उसने फरमान में रोहिंग्याओं को खुली छूट दी थी कि वो वापस अपनी मर्जी से जा सकते हैं।

उस दौरान रोहिंग्याओं को निर्वासित करने की जिम्मेदारी संभाल रहे लेफ्टिनेंट जनरल फार्नु कर्दलारफोन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, हमने रोहिंग्याओं को उनकी इच्छानुसार 100 से 200 के ग्रुप में भेजा है। हालांकि, इस तरह रोहिंग्याओं को वापस भेजने पर मानव अधिकार संगठनों ने थाईलैंड की कड़ी आलोचना की थी।

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