बात जब साख की हो तो इंसान कामयाबी की हर मुमकिन कोशिशें करता दिखता है… कुछ ऐसा ही इस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ है… फिलहाल मौका भी उनके साथ दिखता है…हालिया उपचुनावों में बीजेपी की करारी हार और बीजेपी की जीती सीट कांग्रेस की झोली में आने से राहुल के हौसले बुलंद हैं…वहीं कर्नाटक में राहुल की कांग्रेस ने बड़ा दांव खेल दिया है…सूबे की सियासत में बड़ा रुतबा रखने वाले लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को लेकर तुरुप का इक्का चल  दिया और उन्हें अल्पसंख्यक दर्जा देने की दशकों पुरानी मांग मानते हुए गेंद केंद्र के पाले में फेंक दी…इससे बीजेपी की हालत पूस में ठेडे पानी से नहाए किसी शख्स जैसी हो गई है…जिसे न फैसला निगलते बन रहा है और न उगलते…वजह कर्नाटक की सियासत में लिंगायत बीजेपी के साथ  दिखे थे…अब सूबे की राजनीतिक नदी उलटी दिशा में बहती दिख रही है…कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार की इस चुनावी पैतरेबाजी से लिंगायत गदगद हैं कि, आखिर राज्य सरकार ने उनके हक की बात की…वहीं बीजेपी कांग्रेस पर लिंगायतों को बांटने के जुबानी जमा खर्च में लगी है…बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम उम्मीदवार येदियुरप्पा ने लिंगायत समुदाय में भगवान की तरह पूजे जाने वाले लिंगायत गुरु संत श्री शिवकुमार स्वामी से मुलाकात की…

येदियुरप्पा खुद लिंगायत हैं लेकिन बीजेपी के पक्ष में बात बनती नहीं दिख रही…ऐसे में बीजेपी के सामने कर्नाटक में 18 प्रतिशत वाले लिंगायत समुदाय को साधने के साथ ही वोक्कालिगा और कुरबा समुदाय को भी साधने की चुनौती है…

ऐसे में इस चुनावी महासमर में कांग्रेस के लिंगायत कार्ड का दबाव झेल रही बीजेपी ने हर पलटवार की तैयारी की है…कर्नाटक में दूसरे नंबर पर आने वाला समुदाय वोक्कालिंगा है…इनकी आबादी 14 प्रतिशत है. एचडी देवगौड़ा वोक्कालिंगा से हैं….वोक्कालिंगा को रिझाने के लिए अमित शाह नागामंगला तालुक के आदिचंचनागिरि मठ जा चुके हैं…यह मठ वोक्कालिंगा समाज का सबसे बड़ा मठ है…

राज्य में कांग्रेस सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बीजेपी राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मास्टर स्ट्रोक को खुद उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल कर हिसाब बराबर करने जा रही है…इसके लिए बीजेपी ने सिद्धारमैया के वोट बैंक कहे जाने वाले अहिंदा माइनॉरिटीज, बैकवर्ड क्लासेज, दलितों को तोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया है…लिंगायत मठों के दौरे के दौरान अमित शाह ने चित्रदुर्ग में प्रभावशाली दलित मठ शरना मधरा गुरु पीठ के महंत मधरा चेन्नैया स्वामीजी से मुलाकात की थी…इस दलित मठ का झुकाव साफ तौर पर बीजेपी की तरफ दिख रहा है…खुद स्वामी चेन्नैया ने कहा था कि, उनके बीच काफी लंबी और सार्थक बातचीत हुई…अमित शाह ने बीजेपी और येदियुरप्पा के शासन में आने पर हमारे मडिगा समुदाय के लिए एक प्रस्ताव लाने का आश्वासन दिया है जिससे उन्हें आरक्षण मिल सकेगा…राज्य में करीब 1.5 करोड़ मडिगा वोटर हैं और मठ का इस समुदाय पर गहरा प्रभाव है…इस समुदाय के लोग चित्रदुर्गा, दावनगेरे और उससे सटे जिलों में हैं। अहिंदा समुदाय एससी कोटे के अंतर्गत आरक्षण दिए जाने की मांग कर रहा है, लेकिन वर्तमान सिद्धारमैया सरकार ने इसको तरजीह नहीं दिया है…ऐसी भी अटकलें हैं कि स्वामी चेन्नैया साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में लड़ सकते हैं…जैसे कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कभी गोरखपुर से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे…वहीं, स्वामी चेन्नैया की कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार से कड़ी नाराजगी तब फिर जाहिर हो गई जब उन्होंने कहा कि, उनका राजनीति की ओर झुकाव नहीं है लेकिन जो भी कांग्रेस सरकार में सामाजिक कल्याण मंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ेगा, मैं वह अपना आशीर्वाद देंगे…हालांकि, उम्र के 40वें वसंत देख चुके स्वामी चेन्नैया का लोगों के साथ सीधा संपर्क है…हालांकि वह अपनी तुलना योगी आदित्यनाथ से नहीं करते और कहते हैं कि यूपी के सीएम काफी अनुभवी राजनेता हैं…इससे उनकी सियासी

कर्नाटक में तीसरा प्रमुख समुदाय कुरबा से जुड़ा है…80 से अधिक मठ इस समुदाय से जुड़े हैं.,,राज्य में कुरबा आबादी 8 फीसदी है…मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इसी समुदाय से आते हैं…

कुल मिलाकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव दोनों ही दलों के लिए बेहद दिलचस्प मोड में है…ऐसे में ये देखना होगा कि,  बीएस येदियुरप्पा को बीजेपी से निकाले जाने के बाद लिंगायत समाज  भगवा पार्टी से नाराज हो गया था…नतीजा बीजेपी सत्ता से बाहर हो गयी थी…अब जब लिंगायत को खुश करने के लिए पार्टी ने बीजेपी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दिया है तो लिंगायत कितना साथ देते हैं…

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