पूर्व आईपीएस अधिकारी  एवं केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह शुक्रवार को मध्य महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ऑल इंडिया वैदिक सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे। यहां उन्होंने मानव के क्रमिक विकास के चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत के वैज्ञानिक रूप से गलत होने का दावा किया है।

उन्होंने कहा कि  ‘इंसानों के विकास संबंधी चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है। इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है।’ हमारे पूर्वजों ने कहीं भी लिखित रूप से या मौखिक तौर पर यह जिक्र नहीं किया है कि उन्होंने किसी बंदर को मानव में बदलते देखा। जब से धरती पर मानव को देखा गया, वह हमेशा से ही मानव था।

वहीं उन्होंने इसे स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में बदलने की जरूरत पर जोर दिया है।उन्होंने कहा कि डार्विनवाद जैविक विकास से संबंधित सिद्धांत है। 19वीं सदी के अंग्रेज प्रकृतिवादी डार्विन और अन्य ने यह सिद्धांत दिया था।

डार्विन 4-5 साल बीगल नाम के जहाज पर घूमे इस सफर में उन्होंने कई रोचक जगहों के बारे में खूब नोट्स बनाए। बाद में किताब लिखी, ‘ओरिजिन ऑफ द स्पिशीज’. किताब के हिसाब से क्रमिक विकास में एक प्रजाति के जानवरों में कुछ जमीन पर रहने लगे, कुछ पेड़ों पर बस गए। इसके चलते उनके अंग उसी हिसाब से विकसित हो गए। लाखों सालों में ये अंतर इतना बढ़ गया कि प्रजातियां एक दूसरे से बिलकुल अलग हो गईं।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र काडर में 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी सत्यपाल सिंह 2014 में ही चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। उन्हें हालिया कैबिनेट विस्तार में मानव संसाधव विकास राज्य मंत्री का प्रभार दिया गया है। सत्यपाल सिंह सांसद बनने ने पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर थे और सेवा के दौरान वह इस पद से इस्तीफा देने वाले पहले अधिकारी थे।

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