उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था किस तरह लावारिस पड़ी है ये देखना है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर गोरखपुर के सहजनवा तहसील के पिपरौली ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक स्कूल में आइए। यहां के कुरमोल ग्राम सभा के पूर्व माध्यमिक स्कूल में वैसे तो प्रिंसिपल समेत तीन टीचर है, इसके साथ ही एक अनुचर भी इस स्कूल में नियुक्त है। वाकायदा स्कूल की दीवार पर इनके नाम तस्वीर समेत लगे हुए हैं लेकिन एपीएन की टीम इस स्कूल में शिक्षा का सच तलाशते हुए पहुंची तो स्कूल लावारिस स्थिति में मिला। स्कूल में कोई भी टीचर नहीं था। टीचर के इंतजार में स्कूल के 54 छात्र-छात्राएं बैठे हुए थे।

इस स्कूल में 6,7 और क्लास 8 तक की पढ़ाई होती है लेकिन हमें किसी भी स्कूल में टीचर नजर नहीं आए। आप क्लास 6 की इस तस्वीर को देखिए बच्चे बैठे है और टीचर नदरत है। अब क्लास 7 की तस्वीर को भी देख लीजिए यहां भी बच्चे तो है लेकिन मास्टर साहब का कहीं कोई अता-पता नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल क्लास आठ का भी है बच्चें मास्टर साहब का इंतजार कर रहे हैं। एक तो तीन क्लास के लिए तीन शिक्षकों का होना पर्याप्त नहीं है, उस पर सभी शिक्षकों का एक साथ स्कूल से गायब रहना बच्चों की पढ़ाई को चौपट कर रहा है। स्कूल में पढ़ाई नहीं होने का असर बच्चों पर भी साफ नजर आया। जब हमने 6 से 8 क्लास में पढ़ने वाले इन बच्चों से सामान्य से सवालों को पूछा तो इन सवालों के जवाब देने में बच्चे लाचार नजर आए।

इसमें बच्चों को दोष दिया जाए या उन शिक्षकों का जो अपनी जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभा रहे हैं। जब शिक्षक पढ़ाई के वक्त स्कूल से नदारत रहेंगे, तो बच्चों को कैसे शिक्षा मिलेगी। गोरखपुर के कुरमोल के माध्यमिक स्कूल की तस्वीर 2014 की स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट की पुष्टि करती है जिसमें कहा गया था कि देशभर के सरकारी स्कूलों के 52 फीसदी पांचवीं क्लस के छात्र सही से दूसरी क्लास की हिन्दी की किताब तक नहीं पढ़ पा रहे है। छठी क्लास के बच्चों का गणितीय ज्ञान तीसरी क्लस के बराबर है वहीं नौवीं क्लास के बच्चों से जो अपेक्षित होता है वो गणित का ज्ञान चार ग्रेड नीचे है।

गोरखपुर के कुरमोल के इस पूर्व माध्यमिक स्कूल में ना सिर्फ शिक्षा के स्तर की समस्या है बल्कि तमाम दूसरी बुनियादी सुविधाओं का भी घोर आभाव है। स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए बेंच और डेस्क तक नहीं हैं। बच्चे जमीन पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है। इन परेशानियों के बीच उन्हें कैसी शिक्षा मिल रही है वो भी आपके सामने है। अब इसी हालात के बीच बच्चे उज्ज्वल भविष्य की राह तलाश रहे हैं लेकिन शिक्षा का स्तर यहीं रहा तो डर है कि देश के नौनिहालों का भविष्य गर्त में ना चला जाए। गोरखपुर के कुरमोल पूर्व माध्यमिक स्कूल और उसके सामने बने प्राथमिक स्कूल की अव्यवस्थाओं के बारे में जब हमने गोरखपुर के बीएसए भूपेन्द्र नारायण सिंह से बात की तो उन्होंने जल्द ही व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने की रटी-रटाई बात कही।

ये हालात चिंता पैदा करती है कि देश में शिक्षा का अधिकार कानून और सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं के बावजूद देश के नौनिहालों का भविष्य संकट में है। सीएम योगी के के घर गोरखपुर के स्कूलों में शिक्षा की बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलने से सब पढ़े, सब बढ़े के नारे किताबी नारे बन कर रहे गए हैं। अब देखना है कि सीएम साहब इसकी कब सुध लेते हैं।

—एपीएन ब्यूरो

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