देशव्यापी लॉकडाउन कोरोना वायरस के वार को ही कुंद नहीं कर रहा, बल्कि यह जनता की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा रहा है। चंद दिनों के ही जन सहयोग से दिल्ली-एनसीआर सहित देश के ज्यादातर शहरों की हवा साफ हो गई है। पिछले 6 महीने से प्रदूषण का रोना रोने वाले लोग पिछले एक सप्ताह से खुलकर हवा में सांस ले रहे हैं और मानसिक एवं शारीरिक दोनों स्तरों पर खुद को कहीं ज्यादा स्वस्थ महसूस कर रहे हैं। यूं तो प्रधानमंत्री ने मंगलवार की रात को देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा की। लेकिन, इससे पहले से ही सड़कों पर उतरने वाले वाहनों की तादाद में भारी कमी आ गई थी।
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए देश के तमाम हिस्सों में वाहनों का आवागमन प्रभावित हुआ है। इसके चलते वातावरण में पीएम 2.5 प्रदूषक कण और नाइट्रोजन ऑक्साइड के चलते होने वाले प्रदूषण में खासी कमी आई है। मुंबई में भी हवा का स्तर में काफी सुधार आई है। हमारे पास सोशल मीडिया के जरिए कुछ तस्वीरें आई हैं, जो खुद ही सारी स्थिति बयान कर रही है।
हाल ही में केंद्र द्वारा संचालित संस्था सफर ने मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और दिल्ली के प्रदूषण में आई कमी पर अपनी रिपोर्ट भी जारी की थी। इसी क्रम में बुधवार को देश के ज्यादातर हिस्सों की हवा बेहद साफ-सुथरी रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से प्रतिदिन देश के 104 शहरों के बारे में वायु गुणवत्ता बुलेटिन जारी किया जाता है। बुधवार को केवल दो शहर ऐसे रहे जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के अंक के ऊपर यानी खराब श्रेणी में रहा।
ये बड़े शहर सबसे अच्छे
लुधियाना | 27 |
जालंधर | 35 |
कोची | 40 |
पंचकूला | 43 |
चेन्नई | 46 |
मुंबई | 40 |
लॉकडाउन के चलते दिल्ली वाले भले ही घर के अंदर रहने को पाबंद हों, लेकिन इस समय हवा इतनी साफ-सुथरी है कि खुलकर सांस ली जा सकती है। सीपीसीबी के मुताबिक बुधवार दिन में राजधानी का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 77 के अंक पर रहा। इस स्तर की हवा को संतोषजनक श्रेणी में रखा जाता है। दिल्ली में वर्ष भर में ऐसे मौके गिने-चुने ही होते हैं जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 के अंक के नीचे आता हो।
काश हमारे देश में इसी तरह से हवा साफ और शुद्ध होती तो आधी से ज्यादा बीमारियां तो ऐसे ही पास ही नहीं फटकती। और इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार भी होता , जिसकी वजह से कोरोना जैसी बीमारियों से हम आसानी से लड़ लेते।