कभी-कभी कोई वीडियो, ऑडियो या चिट्ठी अपने आप में पूरी कहानी बयां कर देती है। कुछ इसी तरह की घटना केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती के साथ हुई। हालांकि बाद में उन्होंने चिट्ठी का खंडन करते हुए इसे मोदी सरकार के खिलाफ साजिश बताया। बात यूं है कि उमा भारती की एक चिट्ठी लीक हुई है जो कि चर्चा का विषय बन गई है। उमा भारती ने मार्च में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विनय निगम को IAS प्रमोट करने के लिए एक चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में उमा भारती ने डीपीसी की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं। इसी चिट्ठी को लेकर मचे बवाल के बाद उमा भारती ने सफाई भी दी। उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि इस चिट्ठी को हथियार बनाकर मोदी सरकार की योजनाओं और रणनीतियों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।

उमा भारती का कहना है कि हमारे प्रधानमंत्री तथा केंद्र सरकार के इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम को खराब करने की कुचेष्टा के अंतर्गत मार्च के अंतिम सप्ताह में उत्तराखंड से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे गए मेरे एक पत्र को कल से एक समाचार पत्र में छापा और एक टीवी चैनल में दिखाया जा रहा है। उन्होंने आगे लिखा कि कमाल यह है कि इस खबर में से समाचार पत्र ने लिखने का दिन एवं महीना गायब कर दिया तथा पत्र के अलग-अलग वाक्यों को जोड़कर एक समाचार बना दिया। इससे पत्र के असली तथ्य ही गायब हो गए हैं तथा इस तथ्य पर तो कोर्ट ने भी अपनी राय दे दी है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी उमा भारती का समर्थन करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश की सरकार विनय निगम जैसे काबिल अफसर को नजरअंदाज कर अधिकारियों से भेदभाव कर रही है। बता दें कि उमा भारती ने अपने चिट्ठी में लिखा है कि जो डीपीसी हुई उसमें विनय निगम के समकालीन लोगों का जो नाम डीओपीटी को भेजा गया उनमें विनय निगम का नाम नहीं है। जो तर्क दिया गया है उस हिसाब से कई अधिकारियों का पक्ष विनय निगम से ज्यादा कमजोर है। उमा भारती ने शिवराज सिंह चौहान को लिखा है कि, ‘मुझे विनय निगम के प्रति आपके दृष्टिकोण में कोई त्रुटि नजर नहीं आती है। लेकिन मध्यप्रदेश शासन की डीपीसी प्रक्रिया में संलग्न कई अधिकारी हैं जिन्होंने मुझसे बदला लेने का यह अच्छा अवसर माना और मनगढंत तर्क देकर विनय निगम का नाम दिल्ली नहीं भेजा।

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