अक्सर यात्रा के दौरान रेलव स्टेशनों पर यह घोषणा सुनी जाती है कि ‘रेलवे आपकी संपत्ति है…’। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता लगता है कि कुछ लोगों ने इस बात को ज्यादा गंभीरता से ले लिया है और वे रेल यात्रा के दौरान मिलने वाले सामान को अपनी संपत्ति समझ अपने साथ ही ले जाते हैं। पश्चिम रेलवे ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वो चौंकाने वाले हैं।

इन आंकडों के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष में 1.95 लाख तौलिए लंबी दूरी की ट्रेनों से चुरा लिए गए। यही नहीं, 81,736 चादरें, 55,573 तकिया के कवर, 5,038 तकिया और 7,043 कंबल भी चुराए जा चुके हैं।इनके अलावा 200 टॉइलट मग, 1000 टैप और 300 से ज्यादा फ्लश पाइप भी हर साल चुराए जाते हैं।

मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुनील उदासी ने बताया कि अप्रैल से सितंबर 2018 के बीच 79,350 तौलिए, 27,545 चादरें, 21,050 तकिया के कवर, 2,150 तकिया और 2,065 कंबल चुराए गए हैं जिनकी कुल कीमत लगभग ₹62 लाख लगाई गई है। आपको बता दें कि सोमवार को ही बांद्रा से ट्रेन में चढ़ने वाले रतलाम के एक व्यक्ति को 3 कंबल, 6 चादरें और 3 तकिया चुराने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

बताया गया है कि पिछले 3 वित्तीय सालों में भारतीय रेलवे को 4000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जिनमें बड़ी मात्रा चोरी की वजह से हुए नुकसान की है। गौरतलब है कि चादर और दूसरी ऐसी चीजों का नुकसान कोच अटेंडेंट को भरना पड़ता है जबकि बाथरूम के सामान की भरपाई रेलवे को करनी होती है।

बताया गया है कि हर बेडशीट की कीमत ₹132, तौलिया की ₹22 और तकिया की ₹25 होती है। एक सूत्र के मुताबिक, यह देखना कोच अटेंडेंट की जिम्मेदारी होती है कि हर यात्री सारा सामान वापस कर गया है। कई ट्रेनों में सेंसर-टैप और सीसीटीवी जैसी सुविधाएं होती हैं लेकिन वह एक यात्रा तक भी टिक नहीं पातीं। रेलवे इन सेवाओं को सस्ते विकल्पों से बदल देता है।

वहीं, पश्चिम रेलवे के पीआरओ रविंदर भाकर ने इन चोरियों को शर्मनाक बताते हुए कहा कि कुछ ट्रेनों में ट्रायल बेसिस पर डिस्पोजबल तौलिया और तकिया के कवर दिए गए हैं।

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