क्या गिरफ्तार होने के बाद अब केजरीवाल को देना होगा इस्तीफा? क्या किसी CM द्वारा जेल से चलाई जा सकती है सरकार?

0
15

भारत की राजधानी दिल्ली की सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। बीती शाम यानी गुरुवार (21 मार्च, 2024) को ईडी ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल गिरफ्तार कर लिया। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर दिल्ली शराब नीति के कथित घोटाले में जुड़े होने के मामले में ईडी ने दिल्ली सीएम को उनके आवास से गिरफ्तार किया। हाई कोर्ट से दंडात्मक कार्रवाई पर रोक से इनकार के बाद ईडी ने यह कदम उठाया। जिसके बाद दिल्ली सरकार के नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे कि अब कौन दिल्ली की गद्दी को संभालेगा? क्या अरविन्द केजरीवाल सीएम पद से देंगे इस्तीफा या फिर जेल से ही चलाएंगे सरकार? इसके साथ ही यह सवाल भी सभी के मन में है कि क्या जेल से सरकार चलाई जा सकती है और ये कितना प्रैक्टिकल है?

क्या कहता है संविधान?

कानूनी जानकारों की मानें तो किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी होने पर वह इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं होते। गिरफ्तार होने से व्यक्ति दोषी नहीं माना जा सकता है। ऐसे में, किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री का पद उनके गिरफ्तार होने पर नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील विनीत जिंदल का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, अयोग्यता प्रावधानों की रूपरेखा देता है, लेकिन किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को पद से हटाने के लिए यह साबित करना होगा कि वह दोषी है।

क्या जेल से सरकार चलाना प्रैक्टिकल है?

कई दफा देखा गया है कि जब भी कोई मुख्यमंत्री किसी मामले में गिरफ्तार होने वाले होते हैं तो वे अपने पद से स्तीफा दे देते हैं। उदाहरण के लिए, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने (कथित लैंड स्कैम मामले में) गिरफ्तारी से पहले ही प्रदेश के सीएम पद से स्तीफा दिया था। गिरफ्तारी के चलते संवैधानिक पद से स्तीफा देना एक नैतिक विकल्प माना जा सकता है। जबकि, इस सबंध में कुछ एक्सपर्ट इस बात पर भी जोर देते हैं कि भले ही संविधान में गिरफ्तारी के बाद पद से इस्तीफे की बात न लिखी हो, लेकिन जेल से सरकार चलाना शायद प्रैक्टिकल नहीं हो पाएगा।

कानूनी जानकारों के मुताबिक जेल से कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग की जा सकती हैं, लेकिन इसके लिए जेल प्रशासन और कोर्ट की अनुमति की जरूरत होगी। इस तरह की परिस्थिति फिल्मों के अलावा, पहले कभी देखी नहीं गई है तो इसका व्यावहारिक आकलन आसान नहीं है। फिर भी कुछ पहलुओं को लेकर चुनौती पेश हो सकती है जैसे, अगर किसी कारण से कोर्ट या जेल प्रशासन ने किसी चीज, जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए या फिर पार्टी नेताओं से मिलने की अनुमति नहीं दी तो जेल से सरकार चलाने में मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।

क्या दिल्ली में लगेगा राष्ट्रपति शासन?

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधीर अग्रवाल का कहना है “अगर कोई सरकारी अधिकारी जेल जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे सस्पेन्ड करने का कानून है, लेकिन राजनेताओं के लिए कानूनी तौर पर ऐसी कोई रोक नहीं है। फिर भी चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है बल्कि केंद्रशासित प्रदेश है, ऐसे में अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं तो भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।”

भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 के मुताबिक, “केन्द्र सरकार को किसी राज्य सरकार को बर्खास्त करने और राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुमति उस अवस्था में देता है, जब राज्य का संवैधानिक तन्त्र पूरी तरह विफल हो गया हो।” कानूनी एक्स्पर्ट्स के मुताबिक दो मुख्य बातों को राष्ट्रपति शासन लागू करने का आधार बनाया जा सकता है। पहला यह कि जब किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की सरकार संविधान के मुताबिक सरकार चलाने में सक्षम न हो। दूसरी स्थिति तब बनती है जब राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों को लागू करने में विफल हो जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here