विकास और आपदा राहत के बड़े-बड़े दावे करने वाली त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने आपदा पीड़ितों के साथ वही किया है जो यूपी और हरियाणा की सरकारों पर करने के आरोप लगते रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने भी जोशीमठ के चांई गांव में 7 और  8 जून में बादल फटने के बाद हुए भारी नुकसान के बाद चाई गांव में राहत राशि बांटी है। लेकिन राहत राशि के नाम पर केवल किसानों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। किसानों को 90 रुपये से लेकर 112, 187, और 200 रुपये तक के चेक दिए गए हैं। जो सरकार की मुआवजा राशियों के योगदान पर सवाल खड़े करने के साथ ही पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है।

जोशीमठ चांई गांव के पीड़ितों के साथ मजाक

हैरानी की बात ये है कि खुद सरकारी अमला ये बात कबूल रहा है। इलाके के तहसीलदार चंद्रशेखर वरिष्ठ की मानें तो पटवारी द्वारा मौके का मुआयना करने के बाद ही ये चेक बांटे गए हैं। प्रशासन का कहना है कि  सरकार की जो योजना है उस के तहत धनराशि काफी कम की गई है जिसकी वजह से किसानों को उनके नुकसान का पूरा पैसा नहीं दिया जा रहा है। उत्तराखंड सरकार द्वारा एक हेक्टेयर का मुआवजा 37 हजार 500 की धनराशि स्वीकृत है। वहीं जोशीमठ तहसीलदार का कहना है कि मानक के अनुरुप ही हर किसान को उसकी भूमि का मुआवजा दिया गया है।

बादल फटने से हुए नुकसान की भरपाई !

इस बारे में जब सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि उन्हें भी इस बात की जानकारी मिली है। ऐसा कैसे हुआ है इसके लिये जांच के आदेश दिए गए हैं। जल्द ही लोगों को राहत के तौर पर जायज भुगतान किया जाएगा।

कांग्रेस ने कसे तंज। सीएम ने दिये जांच के आदेश

वहीं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इसे आपदा पीड़ितों के साथ भद्दा मजाक करार दिया है। आपदा में अपनी कमाई गंवाने वाले और दुख उठाने वालों के साथ सरकार का यह व्यवहार कितना गैरजिम्मेदाराना है ये इस रिपोर्ट से जाहिर है। उम्मीद है कि, त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार इसका सुध लेगी।

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