देश की सीमा की हिफाजत करने के दौरान आंतकवादियों से लोहा लेते उत्तराखंड का एक और लाल शहीद हो गया। शहीद लांसनायक प्रदीप रावत का पार्थिव शरीर सेना के विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष, ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, मसूरी विधायक गणेश जोशी समेत सैकड़ों लोगों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद प्रदीप की शहादत को सलाम किया और नम आंखों से श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।

हर शख्स की आंखें नम, चेहरा गमगीन
महज 28 साल की उम्र में लांसनायक प्रदीप रावत ने देशरक्षा में अपनी जान दे दी। एयरपोर्ट के वीआईपी गेट संख्या दो पर तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो उठीं, चेहरा गमगीन हो गया।

सैन्य सम्मान के साथ आज शहीद का अंतिम संस्कार
इसके बाद सेना के जवान सेना के वाहन से शहीद का पार्थिव शरीर लेकर उनके ऋषिकेश स्थित उनके घर रवाना हो गये।लांसनायक प्रदीप सिंह रावत चौथी गढवाल राइफल में तैनात थे।और वर्तमान में वो जम्मू-कश्मीर के उड़ी सेक्टर में तैनात थे।जहां बीते रविवार को आतंकियों से मुकाबले के दौरान शहीद हो गए।शहीद मूल रूप से टिहरी के दोगी पट्टी के बमुंड गांव के निवासी थे और 2010 में सेना में भर्ती हुए थे।ऋषिकेश के सोमेश्वर नगर निवासी शहीद प्रदीप रावत के पिता कुंवर सिंह रावत और उनके दो चाचा आर्मी से रिटायर हैं।मंगलवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

पत्नी हैं 7 महीने की गर्भवती
प्रदीप रावत 3 बहनों के इकलौते भाई थे।एक साल पहले ही उनकी शादी हुई थी और दो महीने बाद ही उनके घर में किलकारी गूंजने वाली थी लेकिन प्रदीप रावत ने देश की रक्षा में शहीदत को चूम लिया।उत्तराखंड से सेना में जाकर देश की खातिर मर-मिटने वाले सैनिकों की संख्या काफी अधिक है।

चंद महीने में ऋषिकेश के तीन जांबाजों ने दी शहादत
पिछले कुछ महीने में ऋषिकेश के तीन जांबाजों ने देश की खातिर अपना बलिदान दिया है।कुछ दिनों पहले विकास गुरंग उसके बाद हमीर पोखरियाल और अब प्रदीप सिंह रावत ने देश की खातिर अपने प्राणों की आहूति दी थी।जिससे पता चलता है कि ऋषिकेश धर्म और आध्यात्म के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि देश की खातिर मर-मिटने वालों में भी सबसे आगे है।

ब्यूरो रिपोर्ट,एपीएन

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