देशभर में जारी ट्रांसपोर्टलों की हड़ताल से हाहाकार मचा हुआ है। जरुरी चीजों की किल्लत के कारण लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। देश की औद्योगिक नगरी मुंबई में एक तरफ आसमान से आफत बरस रही है तो दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टरों और महाराष्ट्र स्कूल बस एसोसिएशन की हड़ताल ने लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस द्वारा की गई हड़ताल के कारण मुंबई में 8000 और पूरे महाराष्ट्र में 40,000 बसें रोड़ पर नहीं चली जिससे स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

हड़ताल से लोगों को हो रही है काफी परेशानी

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) और महाराष्ट्र स्कूल बस एसोसिएशन की हड़ताल से लोग तो परेशान हैं ही, लेकिन इससे स्कूली बच्चों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल के चलते करीब 8,000 स्कूल बसें सड़क से नदारद रहीं और अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने में पैरंट्स को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हड़ताल से रोजमर्रा की चीजों के महंगे होने की भी संभावना जताई जा रही है। इससे लोगों को रोज की जरूरतों जैसे दूध, अनाज और सब्जियों के लिए काफी दिक्कतें हो सकती हैं। साथ ही हड़ताल के चलते हर दिन के करीब 2,000 करोड़ रुपए के नुकसान की भी आशंका जताई जा रही है। बता दें कि संगठन यह हड़ताल पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग को लेकर कर रहे हैं। बता दें कि हड़ताल से लगभग 16 लाख वाहन प्रभावित होंगे और इसमें 3,300 महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट संगठन शामिल होंगे।

मुंबई में हड़ताल से स्कूल के बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने वाले सभी ऑपरेटर्स इस हड़ताल में शामिल हैं। ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से देशभर के लाखों ट्रक के पहिए थम गए हैं, इससे लोगों को कई दिक्कतें होने वाली है। क्योंकि ट्रक मालिकों ने किसी भी तरह के सामान को लोड करने से मना कर दिया है। जिससे शहर में रोजमर्रा की चीजों के अलावा दवाइयों की उपलब्धता पर भी असर पड़ेगा। मामले पर परिवहन मंत्रालय से बयान आया कि इस पर जल्द ही कोई कदम उठाना संभव नहीं है क्योंकि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।

ट्रांसपोर्ट्स की मांग

  • डीजल कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, क्योंकि इसके दाम रोजाना बदलने से भाड़ा तय करने में परेशानी होती है।
  • टोल सिस्टम को भी बदला जाए, क्योंकि टोल प्लाजा पर र्इंधन और समय के नुकसान से सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपए की चपत लगती है।
  • थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम पर जीएसटी की छूट मिले और एजेंट्स को मिलने वाला अतिरिक्त कमीशन खत्म किया जाए।
  • आयकर कानून की धारा 44-एई में प्रिजेंप्टिव इनकम के तहत लगने वाले टीडीएस को बंद किया जाए और र्इ-वे बिल में संशोधन हो।

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