ठुमरी क्वीन का नाम लेते ही गिरिजा देवी का मुस्कुराता और वात्सल्य छलकाता चेहरा आंखों में उतर जाता है…उनके गाए कजरी, चैती, होली, ख्याल और टप्पा का जिक्र करते ही लोगों की जुबान पर तपाक से गिरिजा देवी का नाम आता है…लेकिन 88 वर्ष की उम्र में भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया…जैसे कि उसके पास साजदार की कमी हो गई हो…शिवनगरी काशी में जन्मी संगीत साम्राज्ञी गिरिजा देवी हमारे बीच नहीं हैं…लेकिन उनकी गैर मौजदूगी में उनके चाहनेवालों ने उन्हें पूरे देश में कोलकाता, दिल्ली, नोएडा में उन्हें नम आंखों से याद किया…

बनारस स्थित उनके घर पर पूजा पाठ का आयोजन किया गया…इसमें मौजूद हर शख्स के चेहरे पर उनके नहीं रहने का दर्द दिखा…लेकिन घर के हॉल में मौजूद अलमारी में रखी गुड़िया उदास थी…उदासी इसलिए क्योंकि उनकी सबसे अच्छी सहेली यानी पद्म विभूषण गिरिजा देवी उनसे दूर जा चुकी हैं…इन गुड़ियों की उदासी हर किसी के मन में कांटे की तरह चुभ रही थीं, लेकिन इसे दूर करने की हिम्मत किसी के पास नहीं है…यह गुड़िया अप्पाजी की सहेली ही नहीं बल्कि जिंदगी का वह महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसकी वजह से अप्पाजी ने एक अलग मुकाम हासिल किया…इन गुड़ियों का अप्पाजी से अनूठा कनेक्शन रहा…

अप्पाजी के घर की अलमारी में कई गुड़ियां आज भी रखी हैं…अच्छे गाने पर उनके पिताजी उन्हें एक गुड़िया उपहार में देते थे, जिससे उनका हौसला और बढ़े…अप्पाजी के शौक के बारे में उनके भतीजे प्रकाश कहते हैं कि अप्पाजी के पास हर इटली, जर्मनी, फ्रांस, जापान, कश्मीर, अमेरिका यहां तक कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की गुड़िया भी हैं…

बनारस में नाटी इमली स्थित आवास में तो गुड़ियों का कलेक्शन सिर्फ एक या दो अलमारियों में ही है…लेकिन उनके कोलकाता स्थित आवास पर पूरा कमरा गुड़ियों से भरा है…वह उनसे बातें किया करती थी, उनके साथ रियाज करती थीं…उनको अपनी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाकर हर सुख-दुख साझा किया करती थीं…ये गुड़िया उनके लिए किसी बच्चे से कतई कम नहीं हैं…अब जब इनसे सबसे अधिक लगाव रखने वाली गिरिजा देवी इनसे दूर जा चुकी हैं…तो ये भी उदास है, क्योंकि, आज अप्पाजी नहीं हैं लेकिन, गुड़िया है कमरा है…

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