राजनीति में पैसे का खेल किसी से छुपा नहीं है। ज्यादातर नेता सियासत के जरिए कुछ ही सालों में धन कुबेर बनते देखे गए हैं। कभी साइकिल पर चलने वाले नेता आज आलीशान घर और लग्जरी कार के मालिक है लेकिन इसी देश की राजनीति में कुछ नेता ऐसे भी है जो सियासत में सन्यासी बने हुए है। ये नेता सरकार के मुखिया रहते हुए भी एक घर तक नहीं बना सके। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही नेताओं के बारे में।

माणिक सरकार हुए बेघर

इस वक्त त्रिपुरा में लेफ्ट के किला ढ़हने की खूब चर्चा हो रही है। पूरा देश पूर्वोत्तर में बीजेपी के लहरा रहे परचम की चर्चा कर रहा है इस बीच राजनीति में धन बल की भी खूब चर्चा हो रही है लेकिन इन चर्चाओं के बीच जो एक और खबर सुर्खियों में है, वो है माणिक सरकार की सादगी की। जी हां, 20 सालों तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे माणिक सरकार देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री है। माणिक सरकार ने त्रिपुरा में 20 सालों तक सरकार चलाई लेकिन जब सत्ता गई, मुख्यमंत्री आवास छोड़ना पड़ा तो उनके पास सिर छुपाने के लिए एक छत तक नहीं है।

हैरत की बात है जहां आज एक बार विधायक और सांसद बन जाने पर नेता रातों रात करोड़पति-अरबपति बन जाते हैं वहीं माणिक सरकार 20 साल तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे लेकिन इतना भी कमा नहीं पाए कि एक अदद घर बना सकें। ऐसे में मुख्यमंत्री पद से उतरते ही माणिक सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या पैदा हो गई कि वो जाए तो जाए कहां। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते वो चाहे तो सरकारी बंगले-गाड़ी की सुविधा ले सकते हैं लेकिन माणिक सरकार ने इस सुविधा को लेने से इंकार कर दिया। माणिक सरकार अब सरकार के खर्च पर कोई सुविधा हासिल नही करना चाहते।

जाहिर हैं ऐसी स्थिति में वो अपने निजी आवास में रहना चाहते लेकिन समस्या तो ये हैं कि उनके पास अपना घर ही नहीं है। माणिक सरकार के पास एक पैतृक मकान था लेकिन उसे भी उन्होंने अपनी बहन को दान दे दिया है ऐसे में अब उनके पास अपना कोई मकान नहीं बचा है। लिहाजा माणिक सरकार अब उसी पार्टी दफ्तर में रह रहे है जहां से उन्होंने संघर्ष कर त्रिपुरा में लेफ्ट की सरकार बनाई थी। माणिक सरकार ने सीपीएम दफ्तर को अपना ठिकाना बनाया है जहां वो अपनी पत्नी के साथ रह कर आगे का संघर्ष जारी रखेंगे।

पार्टी कार्यालय के उपरी मंजिल पर बने एक कमरे में माणिक सरकार अपनी पत्नी पांचाली भट्टाचार्या के साथ कैसे रहेंगे ये लोगों को भले ही हैरत में डाल रहा है लेकिन जो लोग माणिक सरकार को नजदीक से जानते हैं वो अच्छी तरह से जानते है कि मुख्यमंत्री आवास में रहते हुए भी वो बड़ी सादगी से रहते थे। वो अपनी सैलरी का ज्यादातर हिस्सा पार्टी को दान कर देते थे और सरकार से मिलने वाली ज्यादातार सुविधाएं भी नहीं लेते थे। इस विधानसभा चुनाव में उनकी ओर से दिए गए संपत्ति के ब्यौरे के अनुसार उनके पास महज 1520 रुपये नगद है। आपको जानकर हैरत होगी कि 20 जनवरी को उनका बैंक बैलेंस 2410.16 रुपये था। 2013 में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान माणिक सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया था, उसमें उन्होंने अपना बैंक बैलेंस 9720.38 रुपये दिखाया था।

बुद्धदेव भट्टाचार्य का भी यही हाल

माणिक सरकार की तरह ही है पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य का जीवन। साल 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे लेकिन संपत्ति अर्जित नहीं कर सके। जब पश्चिम बंगाल में लेफ्ट की सरकार को ममता बनर्जी ने उखाड़ फेंका तो 11 साल तक मुख्यमंत्री रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य के पास ना खुद का घर था और ना ही गाड़ी। विधानसभा चुनावों में जादवपुर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के बतौर निर्वाचन आयोग के सामने बुद्धदेव भट्टाचार्य अपना नामांकन पत्र दाखिल करते समय जमा किए गए हलफनामे में कहा था कि उनके पास कृषि भूमि, गैर-कृषि भूमि और व्यावसायिक या आवासीय इमारत जैसी कोई अचल संपत्ति नहीं है। न तो उनके नाम कोई संपत्ति है और न ही उन्हें विरासत में कोई संपत्ति मिली है।

नंबूदरीपाद का जीवन भी सादगी से भरपूर

कुछ इसी तरह वामदल के नेता और केरल के मुख्यमंत्री रहे ई एम एस नंबूदरीपाद का भी जीवन था। राजनीति के चकाचौंध के बीच नंबूदरी पाद हमेशा सादगी से रहे। नंबूदरीपाद मुख्यमंत्री रहने के बावजूद खुद के लिए एक घर नहीं बना सके।हाल ये था कि वो अकसर साइकिल से चला करते थे। नंबूदरीपाद के नक्शे कदम  पर ही चलते हुए लेफ्ट के कई नेताओं ने सादगी भरा जीवन बिताया। बड़े पदों पर रहते हुए भी इन नेताओं ने बताया कि राजनीति पैसा कमाने के लिए नहीं बल्कि जनता की सेवा करने के लिए है

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