आलू-टमाटर जैसी सब्जियों को सड़क पर फेंकने को मजबूर किसानों के लिए झारखंड से राहत भरी खबर आई है। यहां हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड की महिलाओं ने ऐसे कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया है जो बांस का बना हुआ है, बेहद सस्ता है और फसलों को खराब होने से रोकने में बेहद कारगर है।

झारखंड के लगभग हर इलाके में कोल्ड स्टोरेज की समस्या आम है। देश के बाकी हिस्सों में भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कोल्ड स्टोरेज की उचित व्यवस्था नहीं होने से देश में 40 प्रतिशत फसल, सब्जियां, फल-फूल, दूध-मछली और दूसरे उत्पाद बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में महिलाओं की बांस से बनी कोल्ड स्टोरेज बड़ी राहत साबित हो रही है।

पहली बार बनाए गए इस तरह के कोल्ड स्टोरेज क्षेत्र के दर्जनों गांवों में खुशहाली का मंत्र लेकर आया हैं। हजारीबाग का यह इलाका महिला समूहों द्वारा की जा रही सामूहिक खेती के कारण भी जाना जाता है। ऐसे में किसान महिलाओं द्वारा देसी कोल्ड स्टोरेज तैयार करना उनकी दोहरी उपलब्धि है।

बांस के बेत से बने इस कोल्ड स्टोरेज की खासियत यह है कि इसमें पूरे एक सीजन तक आलू, प्याज, लहसुन आदि को सुरक्षित रख सकते हैं। कम लागत में उत्पादों की बर्बादी रोककर बेहतर मुनाफा दिलाने वाला यह देसी कोल्ड स्टोरेज स्थानीय किसानों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। टाटीझरिया प्रखंड के एक दर्जन गांवों में अब घर-घर ऐसे कोल्ड स्टोरेज बनाए जा रहे हैं।

आलू-प्याज के इस सीजन में इसकी मांग भी खासी है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। यह किसी भी हवादार कमरे में तैयार किया जा सकता है। यह आलू-प्याज को नमी से बचाता है। बांस में फंगस नहीं लगता है, यही वजह है कि सब्जियां सड़ती नहीं है। कई स्वयंसेवी संस्थान भी अब इस अभियान से जुड़कर महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण देकर ऐसे मॉडल बनवा रही है। इस मुहिम से जुड़कर ऐसे मॉडल तैयार करनेवाली महिलाएं अच्छी-खासी आमदनी भी पैदा हो रही हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here