तेजाब कांड में पटना हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मोहम्मद शहाबुद्दीन की सजा को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन और उसके तीन सहयोगियों को हाई कोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा बरकरार रखी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजग गोगोई के साथ जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने महज कुछ ही मिनटों में इस मामले पर शहाबुद्दीन की याचिका खारिज कर दी। जैसे ही शहाबुद्दीन के वकील ने कुछ कहना चाहा पीठ ने पूछा- शहाबुद्दीन के खिलाफ गवाही देने जा रहे राजीवन रौशन को क्यों मार दिया? उसके मर्डर के पीछे कौन था? कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार के मुखिया चंदा बाबू का फिर से न्यायालय पर भरोसा बढ़ गया होगा।

अपने बेटे को गंवाने वाले चंदा बाबू केस की शुरूआत से ही न्यायालय के फैसले पर विश्वास जताते आ रहे हैं। उन्होंने इससे पहले पिछले साल अगस्त में हाईकोर्ट के फैसले को भी न्याय की जीत बताया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही चंदा बाबू ने कहा था कि सूबे में सरकार बदली है तो हमें राहत की उम्मीद है। इस केस में न्यायपालिका जिस तरह से फैसला सुना रही है और सबों को सहयोग मिल रहा है उससे मेरा भरोसा बढ़ रहा है। अपने दो बेटों को एक साथ गंवाने वाले चंदा बाबू ने कहा कि हमारे दोनों बच्चे सीवान की आजादी के लिये शहीद हुए थे और अब ऐसा लग रहा है कि मेरा सीवान सच में आजाद हो गया है।

आपको बता दें कि अगस्त 2004 में शहाबुद्दीन और उसके साथियों ने सीवान के प्रतापपुर गांव में चंदा बाबू के दो बेटों सतीश और गिरीश रौशन को जिंदा तेजाब से नहलाकर मार दिया था। इन दोनों का कसूर इतना था कि इन्होंने शहाबुद्दीन के गुंडों को रंगदारी देने से मना कर दिया था।

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