राफेल विमान का मामला राजनीति से होते हुए न्यायपालिका तक जा पहुंचा है। अब इसके सौदे का हिसाब-किताब केंद्र सरकार से न्यायपालिका मांग रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से फ्रांस से खरीदे जा रहे राफेल विमान की कीमत संबंधित जानकारियां मांगी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सरकार 10 दिनों के भीतर एक सीलबंद कवर में कीमत संबंधित जानकारियां दे। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने फिर से यह स्पष्ट किया कि उसे राफेल सौदे से जुड़ी तकनीकी जानकारी नहीं चाहिए।  हालांकि, सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि सरकार के लिए अदालत को कीमतों की जानकारी उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा क्योंकि यह जानकारी संसद को भी नहीं दी गई है।कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि जो सूचनाएं सार्वजनिक की जा सकती हैं केन्द्र उन्हें याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।

कोर्ट ने इसके अलावा भारतीय ऑफसेट पार्टनर्स की जानकारी भी सीलबंद तरीके से मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने  कहा है कि केंद्र सरकार राफेल डील से संबंधित सभी सूचनाओं का खुलासा करे। ये सूचनाएं वैध रूप से पब्लिक डोमेन में रखी जा सकती है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि भारतीय ऑफ़सेट पार्टनर को शामिल करने की जानकारी याचिकाकर्ताओं को दी जाए, जिन्होंने जनहित याचिका दायर की है।

इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल ने बेंच को बताया कि राफेल की कीमत विशिष्ट सूचना है और यहां तक कि इसे संसद में भी साझा नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट के सामने केंद्र की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज ऑफिशल सिक्रिट्स ऐक्ट के तहत आते हैं।

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