सुप्रीम कोर्ट ने आज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हजारों करोड़ रुपये घोटाले मामले में आरोपी यादव सिंह को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि, वे इस मामले में पूरी तरह जांच में मदद करेंगे। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वे अपना पासपोर्ट जमा कराएंगे। बता दें कि यादव सिंह पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे का चीफ इंजीनियर रहते हुए गैरकानूनी तरीके से इलेक्ट्रिक केबल का टेंडर देने का आरोप है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह जमानत इस आधार पर दे दी कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से समय पर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया था। हालांकि ईडी ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल जरूर किया था लेकिन तय समय सीमा के एक दिन बाद। सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह को यह जमानत 50 लाख के निजी मुचलके (पर्सनल बांड) पर दी है।

गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी यादव सिंह के ऊपर सीबीआई ने आईपीसी धारा 409, 420, 466, 467, 469, 481 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। यानी यादव सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और कानून के उल्लंघन के संबंध में केस दर्ज किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह से कहा है कि, वह गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

जैसा कि यादव सिंह पर आरोप है कि 2004 से 2015 के बीच 11 सालों में उन्होंने अपनी आय 5 गुणा अधिक संपत्ति अर्जित की है। इस मामले में यादव सिंह की पत्नी, बेटियों व बहू और बेटे के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया। यादव सिंह के परिवार के नाम तीन प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां, तीन प्रोपराइटरी फर्म व चैरिटेबल ट्रस्ट थे जिसमें इनका काला धन लगा हुआ था।

सीबीआई के मुताबिक 1 अप्रैल 2004 से लेकर 4 अगस्त 2015 तक यादव सिंह और उनके परिवार के पास लगभग 23 करोड़ की संपत्ति थी जो कि इनकी आय से 5 गुना अधिक थी।

फरवरी 2016 में यादव सिंह को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here