सुप्रीम कोर्ट ने दुनिया के सात अजूबों में शामिल आगरा के ऐतिहासिक ताज महल में बाहरी लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति देने संबंधी याचिका सोमवार को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ताज महल में बाहरी लोगों के नमाज अदा करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति अशोक एम खानविलकर और डी वाई चन्द्रचूड शामिल रहें।

आपको बता दें कि इस याचिका में न्यायालय से जिला प्रशासन को निर्देश देने की गुहार की गयी थी कि वह बाहर के लोगों को ताज महल में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दे।

कोर्ट ने कहा कि ऐतिहासिक ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल को हर हाल में संरक्षित रखा जाना चाहिए। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 24 जनवरी को ताजमहल में बाहरी लोगों के नमाज अदा करने पर रोक लगाने बाद याचिकाकर्ता ने इसके विरुद्ध न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताज महल में नमाज अदा करने की कोई जरूरत नहीं है। नमाज किसी अन्य स्थान पर भी अदा की जा सकती है।

दरअसल ताज महल के अंदर एक मस्जिद है जिसमें स्थानीय लोग हर शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करते हैं, लेकिन प्रशासन को ऐसी खबर मिल रही थी कि इसमें बाहरी लोग भी शामिल हो रहे हैं जिससे सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा माना जा रहा था। प्रशासन ने नियमों में बदलाव करते हुए यहां प्रवेश के लिए स्थानीय लोगों को पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया।

गौरतलब है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने बेगम मुमताज की याद में सत्रहवीं शताब्दी में आगरा में ताजमहल का निर्माण कराया था। ताजमहल को

यूनेस्को ने 1983 में विश्व धरोहर का दर्जा दिया था।

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