भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से कूल कर दिया है।  सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर की कोर्ट में चल रहे धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि धोनी ने ऐसा जानबूझकर और दुर्भावना के साथ नहीं किया। दरअसल,  एक पत्रिका  में धोनी की तस्वीर भगवान विष्णु के रूप में छपी थी जिसके बाद उनके ऊपर लोगों की धार्मिक भावना को भड़काने का आरोप लगा था।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धोनी को राहत देते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ कारवाई  होती है तो यह कानून का मखौल उड़ाना जैसा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पत्रिका के एडिटर के खिलाफ भी केस रद्द कर दिया है। इस मामले में दायर आपराधिक कार्रवाई करने वाली याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

गौरतलब है कि अप्रैल 2013 में एक मैगज़ीन के कवर पेज पर महेंद्र सिंह धोनी का विष्णु के रुप में फोटो छपने के बाद काफी बवाल हो गया था। धोनी के खिलाफ लोगों की धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में आंध्र प्रदेश के अनंतपुर कोर्ट ने जनवरी, 2016 में गैरजमानती वारंट जारी किया था। सामाजिक कार्यकर्ता जयाकुमार हिरेमथ ने कोर्ट में याचिका दायर कर धोनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी। हिरेमथ ने आरोप लगाया था कि धोनी पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में अपने हाथ में जूता पकड़े हुए दिखाए गए हैं, जो हिन्दू देवता का अपमान है और इससे लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा है। जयाकुमार की इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्टेट ने धोनी के खिलाफ एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और अपमान करने के आरोप में आईपीसी की धारा 295 व 34 के अंतर्गत मामला दर्ज किया था।

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