देश में सूखे की स्थिति से किसान कितना बेहाल है इसका अंदाजा किसी को हो या ना हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट को जरूर है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सूखे की सुनवाई के दौरान सख्त रूप अपनाते हुए हरियाणा समेत सूखा प्रभावित 10 राज्यों के मुख्य सचिवों को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि सरकार ने सूखा, किसानों की आत्महत्या और पलायन से निपटने के लिए अब तक क्या-क्या कार्य किए हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार हलफनामा दायर करके बताएं कि राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सूखे प्रभावित लोगों को सहायता देने के आदेश का पालन क्यों नहीं किया।  इस मामले पर अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। कोर्ट द्वारा जारी नोटिस में दस सूखा प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव को तलब किया है। इन राज्यों में आंध्र-प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार और झारखंड शामिल हैं।

गौरतलब है कि स्वारज अभियान नामक एक संस्था ने सूखा प्रभावित इलाकों में लोगों की सहायता ना कर पाने वाली सरकारों के खिलाफ याचिका दायर की थी। संस्था में 12 राज्यों के खिलाफ याचिका दायर की थी जिनमें से दो राज्य उत्तर प्रदेश और उड़ीसा को बाद में निकाल दिया गया। स्वाराज अभियान द्वारा दायर याचिका में इन राज्यों में सूखे से प्रभावित लोगों के लिए सरकार द्वारा किए गए काम पर आपत्ति जताई गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने पिछले सुनवाई में इन सभी राज्यों को कहा था कि वे अपने राज्य में किए गए कार्यों की विस्तृत जानकारी दें और अगर किसी चीज़ की कमी हो तो बताएं। कोर्ट को कोई जवाब ना मिलने पर उसने संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को कोर्ट में तलब किया है।

आपको बता दें कि स्वराज आंदोलन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि केंद्र सरकार भी राज्यों को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए कोई वैज्ञानिक तरीका अपनाए। इसे राजनीतिक न बनाया जाए। किसानों की आत्मयहत्या भी गंभीर मुद्दा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि तत्काल देश में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए स्पेशल फोर्स का गठन करे। इसके अलावा केंद्र एक सूखा फंड बनाये।

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