उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से महज 80 किलोमीटर दूर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है रायबरेली। रायबरेली का नाम यूपी के वीवीआईपी जिले में शुमार है।  तो क्या इस जिले की सड़कों में वीवीआईपी सड़कों की झलक नजर आती है, क्या सीएम योगी आदित्यनाथ के वादों के मुताबिक यहां की सड़कें गड्ढामुक्त हो सकी हैं। ये जानने के लिए APN की टीम रायबरेली पहुंची।

रायबरेली में गड्ढामुक्त सड़कों की तलाश में हम सबसे पहले आईटीआई रोड पर पहुंचे। इस सड़क को देख कर हमें बड़ी निराशा हुई, सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए है और जिम्मेदार अधिकारियों को ये गड्ढ़े नजर नहीं आते। इस सड़क पर कुछ जगहों पर तो इतने गड्ढे बन गए है कि अंदाज लगाना मुश्किल है कि सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। वहीं कई जगहों पर सड़क पूरी तरह से उखड़ गई है। यहां सड़क पर कहीं भी डामर देखने को नही मिला।

आईटीआई रोड पर सड़क की दुर्दशा देखने के बाद APN की टीम शहर के सारस चौराहे पर पहुंची। यहां गड्ढों ने सड़क को छलनी कर रखा था। सड़क पर 3-3 फुट के गड्ढे देखने को मिले।  हाल ये है कि गाड़ियां इन गड्डों से हिचकोले खाते हुए किसी तरह से निकल पाती है। अभी बरसात का मौसम है ऐसे में बारिश होने पर इन गड्डों में पानी भर जाता है इसके बाद तो ये गड्डे जानलेवा बन जाते हैं, यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को गड्ढे का अंदाजा नहीं लग पाता है और अचानक गड्डे में चले जाने से गाड़ियां दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं। इन गड्डों की वजह से यहां अकसर हादसे होते रहते हैं।

रायबरेली में योगी सरकार के दावे पूरी तरह से फेल नजर आ रहे हैं। कहने को तो ये शहर राजनीतिक रूप से बेहद अहम है लेकिन लगता है गड्ढ़ा भरने में भी ये राजनीति का शिकार हो गई है। सड़क की दुर्दशा का हाल ये है कि कलेक्ट्रेट को जाने वाली सड़क भी गड्ढों से जख्मी है।  वीवीआईपी सिविल लाइन रोड का फ्लाईओवर की सड़क भी टूट गई है। इस इलाके में डीएम और एसपी का ऑफिस है। इस प्लाईओवर से वीवीआईपी लोग गुजरते है। इस सड़क से वो लोग भी गुजरते है जिनका दावा है कि रायबरली की सड़कें गड्ढ़ामुक्त हो चुकी है। लेकिन सड़कों के गड्ढे उनके दावों की पोल खोल रही है फिर भी PWD विभाग को दावा करने में जरा भी संकोच नहीं होता। सरकार और उनके गैरजिम्मेदार अफसरशाही के नाकामी का खमियाजा यहां के स्थानीय लोगों को उठाना पड़ रहा है।

सदर तहसील के सामने से गुजरने वाली सड़क जर्जरहाल में है। सड़क पर तारकोल का नामोनिशान नहीं बचा है, पूरी सड़क की गिट्टी निकल कर सड़क पर बिखरी हुई जिससे यहां से गुजरने वाले बाइक सवार फिसल कर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि यहां गाड़ियां तो छोड़िए पैदल चलना भी मुश्किल है।

रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं जो देश ही नहीं दुनिया की सबसे सशक्त महिलाओं में गिनी जाती हैं लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र में महिलाओं को इंसाफ के लिए थाना जाना पड़े तो पुरुषवादी समाज के अलावा यहां की सड़कें भी राह में रोड़े अटकाती हैं। महिला थाना जाने वाली सड़क जर्जरहाल में है। इस सड़क में कुछ दिन पहले तक बड़े-बड़े गड्ढे थे लेकिन सरकार के गड्ढामुक्ति अभियान के तहत यहां के गड्ढे पैचवर्क करा कर भर तो दिए गए लेकिन इसकी गुणवत्ता ऐसी नहीं कि वो इस बरसात को झेल सके।  सड़क बनने के बाद फिर से टूटने लगी है।

डिग्री कॉलेज चौराहे से लेकर कैनाल रोड पर हनुमान मंदिर और फिर राणा नगर में भी कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। गड्ढों के आकार इतने बड़े हैं कि बाइक सवार की जरा सी लापरवाही या अधिक स्पीड उसे भारी पड़ सकती है। इन गड्ढों की वजह से आए दिन हादसे भी हो रहे हैं लेकिन अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। लगातार हो रहे हादसे की वजह से स्थानीय लोगों ने कई बार तो खुद ही मलवों से गड्ढे भरवाए, फिर भी अफसरों की नींद नहीं टूटी।

रायबरेली के हरचंदपुर की सड़कों का हाल भी शहर की दूसरी सड़कों से जुदा नहीं है। सड़क टूट कर जानलेवा बन गई है। इस सड़क पर तारकोल नजर नहीं आता जिसकी वजह से सड़क की गिट्टी निकल कर हादसों को दावत दे रही है। इस सड़क पर जितनी दूरी तक जाइए आपको ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। इन सड़कों की वजह से जहां हादसे होते हैं वहीं गाड़ियों के मेंटेनेंस पर भी असर पड़ता है, टूटी सड़क पर हिचकोले खाते हुए गुजरने से गाड़ियों का पुर्जा-पुर्जा ढ़ीला हो जाता है।  वहीं इन पर सवार लोगों को भी शरीरिक परेशानी हो जाती है। इन गड्डों का असर लोगों की रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है जिसकी वजह से यहां से गुजरने वाले लोगो को कमर और पीठ दर्द की शिकायत हो जाती है। यानि रायबरली की बीमार सड़कें लोगों को भी बीमार बना रही है।

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