तीन वर्ष के लंबे अंतराल के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) सोमवार 5 सितंबर से अपनी चार दिवसीय भारत यात्रा पर हैं. अपनी चार दिवसीय भारत यात्रा के दूसरे दिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच प्रतिनिधि स्तर की बातचीत हुई, इसके बाद सात समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गए.
तीन वर्ष के बाद पहला दौरा
प्रधानमंत्री शेख हसीना इससे पहले वर्ष 2019 के अक्टूबर में भारत दौरे पर आई थीं. इसके बाद मार्च, 2021 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की स्वाधीनता की स्वर्ण जयंती और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के शताब्दी वर्ष के मौके पर ढाका के दौरे पर गए थे.
सात समझौतों पर हुए हस्ताक्षर
बांग्लादेश और भारत के प्रधानमंत्रियों (Sheikh Hasina – Narendra Modi Meet) की द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई. इसके अलावा जल प्रबंधन, रेलवे, विज्ञान एवं तकनीक, न्यायिक मामलों और सूचना एवं प्रसारण से जुड़े क्षेत्र में भी समझौते किए गए.
क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी?
नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद पीएम मोदी ने कहा कि “ऐसी 54 नदियां हैं जो भारत-बांग्लादेश सीमा से गुजरती हैं, और सदियों से दोनों देशों के लोगों की आजीविका से जुड़ी रही हैं. ये नदियां, इनके बारे में लोक-कहानियां, लोक-गीत, हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत के भी साक्षी रहे हैं. आज हमने कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा.“
पीएम ने कहा कि बाढ़ प्रबंधन के संबंध में सहयोग बढ़ाने पर भी मेरी और प्रधानमंत्री शेख हसीना की उपयोगी बातचीत हुई. भारत बांग्लादेश के साथ रियल टाइम आधार पर बाढ़-संबंधी डेटा साझा करता रहा है और हमने डेटा शेयरिंग की अवधि को भी बढ़ाया है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि आज हमने आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग पर भी जोर दिया. 1971 की spirit को जीवंत रखने के लिए भी यह बहुत आवश्यक है कि हम ऐसी शक्तियों का मिल कर मुकाबला करें, जो हमारे आपसी विश्वास पर आघात करना चाहती हैं.
वे बड़े मुद्दे जिनका नहीं हो पा रहा है समाधान
लेकिन भारत बांग्लादेश के बीच कुछ ऐसे बड़े मुद्दे भी हैं जिनका समाधान काफी लंबे समय से चल रही बातचीत के बाद भी नहीं निकल सका है.
तीस्ता नदी जल समझौता
तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे पर प्रस्तावित समझौता भी भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से अधर में लटका हुआ है. बांग्लादेश को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से लगातार यह भरोसा दिया जाता रहा है कि तीस्ता मुद्दा हल कर लिया जाएगा, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लगातार किए जा रहे विरोध के बाद से यह मुद्दा ठंडे बस्ते में है.
तीस्ता नदी सिक्किम से निकलकर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है और फिर अंत में असम में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना में मिल जाती है.
बांग्लादेश में कुल 230 नदियां हैं, जिनमें से 54 भारत से होकर बहती हैं. बांग्लादेश बाढ़ अथवा सूखे जैसे हालातों से निपटने के लिए इनके प्रबंधन को लेकर लगातार भारत से बात करता रहा है.
तीस्ता जल समझौते को लेकर अच्छी बात ये है कि दोनों देशों की सहमति से 1972 में जिस संयुक्त जल आयोग का गठन किया गया था, उसकी बैठक करीब 12 साल बाद पिछले हफ्ते आयोजित की गई थी. इसे उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है.
सितंबर 2011 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जब बांग्लादेश यात्रा पर गये थे इस दौरान तीस्ता करार पर हस्ताक्षर होने थे, लेकिन ममता बनर्जी की तरफ से जताई गई आपत्तियों के बाद अंतिम समय में इसे स्थगित कर दिया गया.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने भारत दौरे से पहले एक समाचार एजेंसी को दिए गये इंटरव्यू में कहा था कि भारत को तीस्ता नदी के मामले पर और व्यापकता दिखानी चाहिए. हसीना ने कहा कि, “भारत से पानी आ रहा है इसलिए भारत को इस क्षेत्र में और व्यापकता दिखानी चाहिए जिससे दोनों देशों को लाभ हो सके. कई बार हमारे लोग पानी की किल्लत से जूझते हैं. विशेष रूप से तीस्ता नदी के पानी को लेकर. मुझे लगता है कि इस समस्या का समाधान होना चाहिए. हमें यह भी पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या के समाधान को लेकर उत्सुक हैं.”
व्यापार असंतुलन
बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. व्यापार असंतुलन भारत और बांग्लादेश के बीच एक बड़ा मसला है. हालांकि भारत ने व्यापार असंतुलन को लेकर कई तरह के सुझाव बांग्लादेश को दिए हैं. भारत द्वारा बांग्लादेशी उत्पादों को शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान करने की पेशकश भी की है.
वित्त वर्ष 2021-2022 में बांग्लादेश में भारत का निर्यात बढ़कर 9.69 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत से बांग्लादेश को किया जाने वाला निर्यात 9.21 बिलियन डॉलर और आयात 1.04 बिलियन डॉलर का था.
रोहिंग्या
रोहिंग्या मसले को लेकर भी भारत और बांग्लादेश के बीच चर्चा हो सकती है. चूंकि भारत के म्यांमार और बांग्लादेश, दोनों से अच्छे संबंध हैं, इसलिए विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय नेतृत्व इसके निपटारे में बड़ी भूमिका निभा सकता है.
भारत द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए कैंप बनाने के लिए बांग्लादेश को आर्थिक सहायता दी गई है. भारत द्वारा म्यांमार को भी रोहिंग्या बहुल रखाइन प्रांत में बुनियादी ढांचा बनाने के लिए मदद दी गई है.