Crime News: मां का कत्ल कर पढ़ी गीता, फिर लिख दिया 77 पेज का सुसाइड नोट, पढ़ें खौफनाक घटना की कहानी…

Crime News: दिल्ली का क्षितिज, जो बीमार मां को मौत के घाट उतार देता है। फिर 77 पेज का सुसाइड नोट लिखकर दे देता है अपनी भी जान

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मां का कत्ल कर लिखी सुसाइड नोट
मां का कत्ल कर लिखी सुसाइड नोट

Crime News: हर बच्चे का अपनी मां के साथ रिश्ता अनमोल होता है। यह रिश्ते की डोर जब कभी भी कमजोर होने लगती है, तो उसे संभालने की जरूरत होती है। इसके लिए धैर्य बहुत मायने रखता है। लेकिन, यहां एक ऐसे युवक की खौफनाक कहानी है, जो काफी डिप्रेशन और अकेलेपन में है। इसी बीच एक ऐसा समय आता है, जब वह मां और बेटे के अनमोल रिश्ते की डोर को तोड़ देता है। यहां दिल्ली की क्षितिज की कहानी है, जो पहले अपनी बीमार मां को मौत के घाट उतार देता है। उसके बाद उसकी लाश के साथ चार दिनों तक रहता है और फिर 77 पेज का सुसाइड नोट लिखकर दे देता है अपनी भी जान! आइए जानते हैं आखिरकार पेंसिल से लिखे 77 पेज के उस सुसाइड नोट में है क्या…

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Crime News: suicide

Crime News: दो साल से मरना चाहता था क्षितिज

सुसाइड नोट में क्षितिज ने कई डरावनी और परेशान कर देने वाली बातें लिखी हैं। उसने सुसाइड नोट में बताया है कि वह दो सालों से मरना चाहता था। लेकिन, इससे पहले वो अपनी मां को उसके दुख से आजाद करना चाहता था।

गुरुवार का दिन है। उसने लिखा है कि बाइक की केबल से मां का गला घोटने की तैयारी की है, ताकि मां को मरने पर दर्द ना हो। वह लिखता है कि जैसे ही उसने केबल तार को कसा, मां 4 से 5 सेकंड में निढाल हो गई। मां को गिरते ही उसने मां का सिर अपनी गोदी में रख लिया। 8 से 10 मिनट तक गला दबाए रखा। वह खुद मुंह दबाए रोए जा रहा था। मरने के बाद मां की आंखें खुली थी। उसने उसे बंद करने की कोशिश की, लेकिन नहीं हुई। वह गुरुवार पूरे दिन और रात रोता रहा।

भगवद्गीता का पढ़ा 18वां अध्याय

क्षितिज आगे लिखता है कि आज शुक्रवार है। मां की लाश को देखा नहीं जा रहा। वह मां के चेहरे को गंगाजल से धोता है। इसके बाद वह मां के पास बैठकर भगवद्गीता का 18वां अध्याय पढ़ता है। वहीं सारी भगवद्गीता नहीं पढ़ सका और उसे मां के सीने पर रख दिया है। सुसाइड नोट में क्षितिज आगे लिखता है कि मां को मरे 71 घंटे हो चुके हैं। लाश से बदबू आ रही है। वह मां की लाश को घसीटकर बाथरूम में ले जाता है और बदबू ना आए, इसके लिए उसका दरवाजा बंद कर देता है। क्षितिज अब अपने सुसाइड नोट को पूरा करना चाहता है। आज शनिवार है। तीन दिन से कुछ खाया पिया नहीं है।

क्षितिज की बिगड़ने लगती है तबीयत

सुसाइड नोट में वह लिखता है कि घर में बदबू रुक नहीं रही थी। इससे उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है। वह पेंसिल के बुरादे और धुपबत्ती को जलाता है। अब उसने सारा डियो भी छिड़क दिया है। वह मास्क लगाकर सुसाइड नोट लिख रहा है। आज रविवार है। दोपहर के दो बज रहे हैं। संडे को वह काफी देर तक लिखता रहा क्योंकि वो सुसाइड नोट को पूरा करना चाहता था।

SUICIDE
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मां की सहेली का सत्संग के लिए आया फोन

क्षितिज आगे लिखता है आज इतवार है। मां को सत्संग जाना है। उनकी सहेली का बार-बार फोन आ रहा है। पहले मां के फोन पर उसके बाद मेरे फोन पर। उसने फोन उठाया। मां की सहेली पूछ रही है कि मिथिलेश फोन नहीं उठा रही हैं, कहां हैं? उसने कह दिया कि मां तो मर चुकी है। उसने मां को चार दिन पहले ही मार दिया है। अब वह खुद मरने की तैयारी में है। वह आगे लिखता है कि यह सब बहुत डरावना है। पापा के जाने के बाद मां के जीजा ने पिता की तरह उनकी देखभाल की। इसलिए वह घोषणा करता है कि उसके मरने के बाद उसकी बाइक उसके जीजा के नाम होगी। वह लिखता है कि उसकी इच्छा है कि उसकी मौसी, मां का अंतिम संस्कार करें।

पिता थे बहादुर

मां और पिता के बारे में क्षितिज लिखता है कि उसकी मां कई बार उसे टोकती थीं। उन्हें हाई बीपी था, तो वह परेशान रहा करती थी। पापा बहादुर थे। मां बताती थी कि जब वह छोटा था तो पापा उसे लेकर अस्पताल गए। वहां एक बंदर उसे गोद से खींचकर ले जाना चाहता था, लेकिन पापा ने मुझे पकड़े रखा और बंदर को भगा दिया।

दोस्त और डिप्रेशन से था परेशान

क्षितिज ने बताया कि उसके दोस्त उसे ज्यादा परेशान करते थे। वह क्लास में सबसे डरपोक बच्चा था। क्षितिज एक जगह लिखता है कि वह अपने माता-पिता के यहां 14 साल बाद जन्मा था और इकलौती संतान था। डीयू के एसओएल में एडमिशन लिया था, लेकिन किस्मत ने धोखा दे दिया। वह दो बार फेल हो गया। वह डिप्रेशन में रहता था। वह पांच रात तक जगा रहा।

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