उत्तर प्रदेश और बिहार उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद अब बीजेपी नेताओं में व्याप्त असंतोष भी साफ दिखने लगा हैं। सांसद और बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इशारों ही इशारों में निशाना साधते हुए कहा, कि “मैं बार-बार कह रहा हूं कि अहंकार, शॉर्ट टेंपर या ओवर कॉन्फिडेंस लोकतांत्रिक राजनीति में सबसे बड़े हत्यारे हैं, चाहे वह ट्रम्प, मित्रों या विपक्षी नेताओं से आए हों”। बता दे शत्रुघ्न सिन्हा ने सीधे तौर पर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए उपचुनाव में हार का जिम्मेदार सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार को ठहराया।

शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये समझाने की कोशिश की, “कि राजनीति में अहंकार और हद से ज्यादा आत्मविश्वास किसी काम का नहीं होता, भले ही वो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का हो या फिर विरोधी पार्टियों का”।

शत्रुघ्न सिन्हा ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत देने से पहले शत्रुघ्न सिन्हा ने एक और ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा, लिखा कि मुझे सबसे ज्यादा बुरा अपने दोस्त योगी के लिए लग रहा है जो खुद अपने संसदीय क्षेत्र में भी नहीं जीत पाएं।

इससे पहले शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट करते हुए लिखा- सर, उत्तर प्रदेश और बिहार के उपचुनाव परिणाम आपको और हमारे लोगों को अपनी सीटबेल्ट कस के बांधने की तरफ इशारा कर रहे हैं। आगे का समय काफी कठिन है। आशा और प्रार्थना करते हैं कि हम इस संकट से जल्द ही उभरेंगे, जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा होगा। परिणाम हमारे राजनीतिक भविष्य के बारे में कई बातें कर रहे हैं। हम इसे हल्के में नहीं ले सकते। उम्मीद है कि पार्टी इस मुश्किल की घड़ी से जल्द निकलेगी।

सिर्फ इतना ही नहीं भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने उपचुनावों में अपनी पार्टी को करारी शिकस्त मिलने के बाद भी विजयी पार्टी को शुभकामनाएं दी।

शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा, एक सच्चे खिलाड़ी की भावना से मैं युवा नेता अखिलेश यादव, सुप्रीमों मायावती और लालू प्रसाद यादव जी को जीत की बधाई देना चाहता हूं।

बता दे शत्रुघ्न सिन्हा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसने के बाद, यहां ये कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि “घमंड तो रावण का भी नहीं टिका था, तो फिर ये राजनीतिक पार्टियां किस खेत की मूली है”।

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