दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में AAP के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) की जमानत याचिका (Bail Plea) खारिज कर दी। जज दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने कहा कि उन्हें निचली अदालत के आदेश में कोई खामी नहीं नजर आ रही है। जज शर्मा ने यह भी कहा कि जैन ने पीएमएलए की धारा 45 की दोहरी शर्तों को पूरा नहीं किया है।
एचसी ने आगे कहा कि मामले में उल्लिखित कंपनियों में शेयरहोल्डिंग पैटर्न से पता चलता है कि जैन और उनका परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फर्मों को नियंत्रित कर रहे थे। अदालत ने यह भी कहा कि जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति थे और जमानत पर रिहा होने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की क्षमता रखते हैं।
Satyendar Jain को ईडी ने किया था गिरफ्तार
सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय ने 30 मई, 2022 को गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय ने पिछले महीने उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक ट्रायल कोर्ट ने 17 नवंबर, 2022 को अपने आदेश में जैन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि “प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड में आया है कि जैन वास्तव में कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकद देकर अपराध को छिपाने में शामिल थे।
Satyendar Jain के सहयोगियों के खिलाफ भी कार्रवाई
सीबीआई ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अगस्त, 2017 में मामला दर्ज किया और एक साल बाद जैन, उनकी पत्नी और उनके चार सहयोगियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोप पत्र दायर किया। इस मामले के बाद, ईडी ने अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफोसोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था।
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