Sardar Vallabhbhai Patel की आज पुण्यतिथि, जानें उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

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Sardar Vallabhbhai Patel की पूण्यतिथि आज, जानें उनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें

देश को एक सूत्र में बांधने वाले आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की आज पुण्यतिथी हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई सारे नेता उन्हें श्रध्दाजंलि अर्पित की हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसी व्यक्ति थे, जिन्होनें किस्मत पर कभी विश्वास नहीं किया उन्होनें अपने संकल्पशक्ति से सारे मुकाम को हासिल की थी। सरदार पटेल उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी आखिरी सांस 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में ली। आइए आज उनकी पूण्यतिथी पर उनके(Sardar Vallabhbhai Patel)जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को जानते हैं-

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सरदार वल्लभ भाई पटेल ने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की थी और अहमदाबाद में वकालत करते थे। जब वह वकालत कर रहें थे तो उसी दौरान आजादी की लड़ाई जोर पकड़ रही थी तो सरदार पटेल भी महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग ले लिए।

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स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेडा संघर्ष में हुआ। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। बता दें कि गुजरात का खेडा उन दिनों सूखे की चपेट में था। जिससे परेशान होकर किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की थी। पर जब उनकी यह मांग को स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये कहा।

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आपको पता होगा कि महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी। जिन्हें आज भी लौह पुरुष के नाम से जाना जाता हैं सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी‘ मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ऊंचाई में अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुना है। इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार की छाती तक पहुंचेंगे और वहां से आप सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकेंगे। सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी।

PM Modi will Unveil Sardar Patel's 182-meter high statue of 'Statue of Unity' on October 31


आपको बता दें, यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है। इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के चीन के 200 कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है। इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया।

सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे। उन्होनें देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया था इसी वजह से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा सरदार पटेल ने प्रशासनिक सेवाएं विजन को लाया क्योंकि उनका कहना था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक साथ रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया था। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था। मालूम हो कि बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद से ही वहां की महिलाए उन्हें सरदार कहकर बुलाने लगी थी और आगे चलकर उन्हें महिलाओं ने ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की थी।

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आपको बता दें कि साल 1946 में हिंदुस्तान को आजादी मिलने की उम्मीदें बढ़ रहीं थी इसके साथ ही सभी की निगाहें कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर टिकी हुई थीं क्योंकि ये लगभग तय हो चुका था कि जो कांग्रेस का अध्यक्ष बनेगा वही हिंदुस्तान का अगला प्रधानमंत्री भी चुना जाएगा.

सोमनाथ मंदिर का निर्माण

सरदार पटेल 12 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ पहुंचे थे इसी दौरान उन्होंने भारतीय सेना को सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया। क्योंकि आजादी से पहले जूनागढ़ रियासत के नवाब ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फ़ैसला किया था। लेकिन भारत ने उनका फ़ैसला स्वीकार करने के इनकार करके उसे भारत में मिला लिया।

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