समाज में व्यवस्था कायम रहे इसके लिए एक निष्पक्ष पत्रकारिता का होना आवश्यक है। पत्रकारिता जनता और प्रशासन के बीच की वो कड़ी रहती है जो दोनों के बीच एक पुल का काम भी करती है। ऐसे में पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग पर सजा देना उचित नहीं है। लेकिन ऐसा हुआ है म्यांमार में जिसका विरोध भी पूरी दुनिया में हो रहा है। दरअसल, न्यूज एजेंसी रायटर के दो पत्रकारों को म्यांमार में सात साज की सजा सुनाई गई है। दोनों को रोहिंग्या पर रिपोर्ट‍िंग के दौरान गोपनीयता भंग करने का आरोप है। ऐसे में इसे प्रेस की आजादी पर हमला करार दिया गया है। रॉयटर्स ने पत्रकारों को मिली सजा की कड़ी आलोचना करते हुए उनके तत्काल रिहाई की मांग की है। म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि ने भी इस घटना को निंदनीय बताते हुए इसे प्रेस की आजादी पर आघात बताया है। दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थकों ने इस घटना की निंदा की है।

अदालत ने रोहिंग्या संकट की कवरेज करने के दौरान गिरफ्तार किए गए समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दो पत्रकारों को ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (शासकीय गोपनीयता अधिनियम) का उल्लंघन करने का दोषी पाया है। दरअसल, पत्रकार वा लोन (32) और क्याव सोए ओ (28) रखाइन प्रांत में रोहिंग्या नरसंहार की रिपोर्टिंग कर रहे थे। मामले में यंगून कोर्ट के जज ये ल्यून ने कहा कि दोनों पत्रकारों ने देश के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, जिसकी वजह से उन्हें सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है।

कोर्ट ने कहा, ‘चूंकि उन्होंने गोपनीयता कानून के तहत अपराध किया है, दोनों को सात-सात साल जेल की सजा सुनाई जा रही है।’ इस आदेश के बाद दुनियाभर में इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर एक हमले के तौर पर देखा जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here