केंद्र सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव, ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की गति पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में कहा है- कि इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या अपराध को ध्यान में रखते हुए इसमें कटौती की जा सकती है।

प्रदेश ने आगे कहा है कि “हमारे संविधान के अनुच्छेद 19 (6) के तहत किसी भी व्यापार या व्यवसाय को करने का अधिकार आम जनता के हित में भी प्रतिबंधित किया जा सकता है, उदहारण के लिए जिसमें सार्वजनिक व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य शामिल है और राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों में भी इसको वर्णित किया गया हैं|

जम्मू कश्मीर में 4 जी डेटा सेवाओं में इंटरनेट की गति को बहाल करने वाली याचिकाओं के एक समूह के खिलाफ जवाब दाखिल किया गया है। जिसमें मुख्य याचिकाकर्ता फाउंडेशन फोर मीडिया प्रोफेशनल्स ने 26 मार्च के केंद्रशासित प्रदेश के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें घाटी में इंटरनेट की गति को केवल 2 जी तक सीमित कर दिया है।

सरकार ने कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने के बाद घाटी में सार्वजनिक शांति भंग करने के इरादे से सोशल मीडिया पर गतिविधि बढ़ गई थी|

“कई हैश-टैग का उपयोग पाकिस्तानी हैंडल द्वारा पाकिस्तानी सेना और आतंकवादी संगठनों / आतंकवादियों को महिमामंडित करने और उन्हें कश्मीर के “संघर्ष” के लिए “सेनानियों” के रूप में चित्रित किया जा रहा था माना जाता है कि पाकिस्तानी सेना के इशारे पर अधिक लोगों को हिंसक विरोध प्रदर्शनों और रैलियों का आयोजन करने और आगे भी सोशल मीडिया अभियानों में भाग लेने के लिए पाकिस्तानी सेना के इशारे पर भारत विरोधी प्रचार करने के लिए ”प्रेरित” किया गया था|

इसके अलावा यह बताया गया कि इंटरनेट की गति में वृद्धि होने से तेजी से उत्तेजक वीडियो अपलोड करने और अन्य भारी वीडियो फ़ाइलों को पोस्ट करने की आशंका है|

अपने आदेश के समर्थन में सरकार ने एक घटना को बताते हुए कहा कि जब कुछ दिनों पहले लगभग 500 ग्रामीणों ने एक आतंकवादी के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए इकट्ठा हुए थे, जहां उन्होंने तालाबंदी के नियमो का उल्लंघन किया था| सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के आतंकवादियों की तस्वीरों का प्रचलन था। जिसे युवाओं को भड़काने और गुमराह करने और देश के खिलाफ भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था|

सरकार ने आगे ज़वाब मे कहा कि अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ में सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि “इंटरनेट का इस्तेमाल आतंकवाद को फैलाने के लिए किया जा सकता है, जिससे भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा है और आधुनिक आतंकवाद इंटरनेट पर बहुत अधिक निर्भर करता है।”

प्रदेश प्रशासन राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव कदम उठा रहा है जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों को सर्वोपरि रखते हुए नागरिकों को न्यूनतम असुविधा हो इसका भी ध्यान रखा जा रहा है|

सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि मोबाइल डेटा सेवाएं इंटरनेट 2 जी की गति पर उपलब्ध है। पोस्ट-पेड सिम कार्ड धारकों को इंटरनेट की सुविधा दी गई है। मैक-बाइंडिंग के साथ फिक्स्ड-लाइन इंटरनेट कनेक्टिविटी, बिना किसी गति संबंधी प्रतिबंध के उपलब्ध है।

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