इलाहाबाद और प्रतापगढ़ को जोड़ने वाली हीरागंज की सड़क इस कदर जर्जर है कि इसे सड़क कहना सड़क की तौहीन होगी। देख कर लगता ही नहीं है कि ये कभी पक्की सड़क रही होगी।  इस टूटी सड़क में इतने बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं कि देखकर यकीन करना मुश्किल है कि ये उसी सूबे की सड़क है जिसके मुख्यमंत्री ने अपने एक साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर सूबे की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त घोषित कर दिया था। इस सड़क में दो चार नहीं बल्कि हजारों गड्ढे हैं  जो सरकार के दावों को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

15 किलोमीटर इस सड़क पर पिछले 15 सालों में कोई मरम्मत कार्य नहीं किया गया है। यहां के लोगों ने कई बार नेताओं और अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला। साल दर साल इस सड़क की स्थिति बद से बदतर होती गई। आज हाल ये है कि इस सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क, कहना मुश्किल है। इस जर्जर सड़कों में गाड़ी चलाने वालों को समझ में ही नहीं आता कि वो गाड़ी को किस तरह से चलाए। हाल ये है कि इस सड़क पर तेज रफ्तार वाली गाड़ियां भी बैलगाड़ी की रफ्तार से चलने के मजबूर हैं।

यहां गड्ढों की वजह से कई हादसे हो चुके हैं। इन गड्ढों में फंस कर कई गाड़ियां पलट चुकी हैं।  वहीं बाइक सवारों के लिए तो ये मौत की सड़क बन गई है। यहां हर वक्त गाड़ियों की आवाजाही रहती है लेकिन सड़क की दुर्दशा लोगों के लिए सफर को बुरे सपने में तब्दील कर देती है। इसी टूटी, गड्ढोंवाली सड़क से होकर लोग गुजरने को मजबूर हैं। लेकिन इतना तो तय है कि इस सड़क से गुजरते वक्त लोगों के जेहन में सीएम योगी का वो दावा जरूर याद आता है जिसमें उन्होंने सूबे की सभी सड़कों के गड्ढ़मुक्त हो जाने की घोषणा की थी। काश सीएम योगी इस सड़क से गुजरते तो ऐसी घोषणा करने से पहले सौ बार सोचते  और देखते कि सरकार को उनके ही अधिकारी कैसे गुमराह कर रहे हैं। सरकारी दस्तावेजों में भले ही सूबे की सभी सड़कें गड्ढामुक्त हो चुकी है लेकिन इस 15 किलोमीटर लंबी ये सड़क बता रही है कि किस तरह से योगी सरकार के गड्ढामुक्ति अभियान में घोटाला हुआ है।

एपीएन ब्यूरो

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