संसद की एक समिति ने आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल को सरकार के नोटबंदी के कदम के बारे में जानकारी लेने के लिए तीसरी बार बुलाया है। इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी सदस्य हैं। वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मामलों की स्थायी संसदीय समिति लगभग दो सालों से इस मुद्दे पर मंथन कर रही है। समिति में 31 सदस्य हैं। सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर नए 500 और 2000 के नोट जारी करने की घोषणा की थी।

समिति की बैठक के नोटिस के मुताबिक पटेल को 12 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने और ‘इसके प्रभावों’ के बारे में समिति के सदस्यों को जानकारी देने के लिए तलब किया है।

आरबीआई के गवर्नर अविनियमित जमा योजना विधेयक को प्रतिबंधित करने और संबंधित मुद्दों पर भी समिति को जानकारी देंगे। संपर्क किए जाने पर मोइली ने कहा, ‘सदस्य नोटबंदी और खास तौर पर इसके प्रभावों को लेकर कुछ और जानकारी और विवरण चाहते थे। इसलिए आरबीआई गवर्नर को बुलाया गया है।’ उन्होंने कहा कि संभवत: यह पहला मौका है जब आरबीआई गवर्नर को एक ही मुद्दे पर समिति द्वारा तीन बार बुलाया गया हो।

बता दें कि इससे पहले उर्जित पटेल नोटबंदी के मुद्दे पर पिछले साल जनवरी और जुलाई में संसदीय समिति के सामने पेश हो चुके हैं। नोटबंदी के असर पर भारत में जबर्दस्त राजनीतिक मतभेद हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नरेंद्र मोदी सरकार के इस कदम को देश की अर्थव्यवस्था पर हमला बताते हैं, जबकि सत्ताधारी बीजेपी का कहना है कि नोटबंदी की वजह से काले धन पर लगाम कसने में मदद मिली और आतंक की भी कमर टूटी।

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