देश में गोहत्या को लेकर जहां सियासत गर्म है वहीं अदालतों में भी अब गोहत्या पर फैसले सुनाए जाने लगे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंगोनिया गोशाला मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गोहत्या करने वाले को आजीवन कारावास की सजा देनी चाहिए। देश में जहां गाय को लेकर राजनीति का दौर तेजी से चल रहा है वहीं राजस्थान हाईकोर्ट का यह फैसला गौ रक्षकों के लिए काफी अहम् है। कोर्ट ने इस बाबत मुख्य सचिव और महाधिवक्ता को कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।

बता दें कि पूरे देश में गौहत्या पर पाबंदी को लेकर एक मुहिम चलाई जा रही है। जहां भाजपा की सरकार इसको लेकर काफी सख्त है वहीं कई पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के राज्यों में इसकी खिलाफत भी हो रही है। कई राज्य सरकारें केंद्र सरकार के गौहत्या की नीतियों के खिलाफ हैं। ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला भाजपा और गौरक्षकों के लिए खुशखबरी है। अदालत ने कहा है कि गोकशी करने वालों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया जाए,साथ ही सूबे के मुख्य सचिव और महाधिवक्ता से कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है।

वहीं दक्षिण के राज्यों में शामिल तमिलनाडु में मद्रास हाईकोर्ट का फैसला गौहत्या को लेकर विपक्ष में है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के जानवरों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के फैसले पर चार हफ्तों के लिए रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से इस फैसले पर चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है। देखना यह होगा कि गाय के जीवन का फैसला राजनीतिक पार्टियां, सरकार ,जनता और न्यायालय किस प्रकार करेंगी। सभी राज्यों की अपनी अपनी संस्कृति,खान-पान , रहन-सहन है। ऐसे में गौहत्या पर कानून कहां लगेगा और कहां नहीं, यह फैसला करना एक बड़ी चुनौती है।

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