भारतीय रेल को भरोसे की पटरी पर लाने का दावा किया जा रहा है। रेलवे ने सुरक्षा के नाम पर आम जनता की जेब पर भी बोझ डाला। रेलवे इसके पीछे अन्य सुविधाओं के साथ सुरक्षा व्यवस्था को भी दुरुस्त करने की दलील देता रहा है। लेकिन यात्री की सुरक्षा अभी भी राम भरोसे ही है। ऐसे में अब ट्रेनों में चोरी और रेप की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए रेलवे सुरक्षा बल ने रेल मंत्रालय से और ज्यादा अधिकार मांगे हैं। आरपीएफ ने एफआईआर दर्ज करने और मामलों की जांच करने का अधिकार देने की मांग की है, ताकि ट्रेनों में होने वाली आपराधिक घटनाओं पर प्रभावी तरीके से रोक लगाई जा सके।

ट्रेनों में होने वाले अपराध की बात करें तो 2017 में देश भर में चलती ट्रेनों में होने वाली चोरी की घटनाएं दोगुनी हुई है। इसके अलावा डकैती के मामलों में तकरीबन 70 फीसदी तक का उछाल आया है। रेप की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। 2017 में ट्रेनों में अपराध की 71,055 मामले सामने आए थे।  2016 में ये आंकड़ा 39,355 तक था। इस साल मार्च तक ऐसी 20,777 वारदात हो चुकी हैं। ट्रेनों में होने वाली आपराधिक घटनाओं के मामले में देश के तीन बड़े राज्य शीर्ष पर हैं। दिलचस्प है कि शीर्ष तीन राज्यों में बिहार और नक्सल प्रभावित झारखंड का नाम नहीं है।

आकड़ों की माने तो महाराष्‍ट्र, उत्‍तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ट्रेनों में सबसे ज्‍यादा आपराधिक घटनाएं हुईं। महाराष्‍ट्र में 2016 में अपराध की ऐसी 7,338 घटनाएं हुई थीं जो 2017 में बढ़कर चार गुना से भी ज्‍यादा 33,145 तक पहुंच गया। मार्च 2018 तक ट्रेनों में 11,614 आपराधिक वारदात हो चुकी हैं।  उत्‍तर प्रदेश में 2016 में ट्रेनों में अपराध की 7,692 घटनाएं हुई थीं। 2017 में ये आंकड़ा बढ़ कर 8,383 तक पहुंच गया। इस मामले में मध्‍य प्रदेश तीसरे स्थान पर है। मध्‍य भारत के इस राज्य में 2016 में ट्रेनों में अपराध की 5,358 घटनाएं हुई थीं। अगले साल ट्रेनों में ऐसी 7,341 वारदात हुईं। इस मामले में तमिलनाडु चौथे और बिहार पांचवें स्थान पर है।

ट्रेनों में चोरी, डकैती और मारपीट के अलावा रेप समेत महिलाओं के खिलाफ अपराध की अन्या घटनाओं में भी वृद्धि दर्ज की गई है। 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 604 घटनाएं सामने आई थीं जो 2017 में बढ़कर 641 हो गईं। इस साल मार्च तक ऐसी 193 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ट्रेनों में सुरक्षा की जिम्‍मेदारी आरपीएफ के साथ जीआरपी के पास है। आरपीएफ सिर्फ रेलवे की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के मामले की ही जांच करता है। अन्य आपराधिक मामलों की जांच की जिम्‍मेदारी जीआरपी के पास होती है। जीआरपी ही ऐसी घटनाओं में एफआईआर भी दर्ज करता है।

                                                                                                                ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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