आशियाने का सपना बेचने का वादा कर खरीदारों के सपनों को तोड़ने वाली आम्रपाली बिल्डर्स को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (1 अगस्त) को तगड़ा झटका दिया। अपने आदेशों की पालना में हीलाहवाली से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह की 40 कंपनियों के निदेशकों के खाते सीज कर दिए हैं और संपत्ति भी सीज कर दी है। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे किये जाने को लेकर नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी यानी एनबीसीसी के साथ हुई बैठक को भी गुमराह करने की कोशिश करार दिया। कोर्ट ने शहरी विकास मंत्रालय के सचिव और NBCC चेयरमैन को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि जब हम सुनवाई कर रहे हैं तो समानांतर कार्रवाई क्यों शुरू की गयी? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा को भी गुरुवार को कोर्ट में पेश होने को कहा है। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी होगी।

निवेशकों के करीब पौने तीन हजार करोड़ रुपये दूसरे कामों में लगाए जाने से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के सभी चार्टर्ड अकाउंटेंट का भी ब्यौरा मांगा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि लगता है कि कोर्ट के साथ गंभीर धोखाधड़ी की जा रही है। फिलहाल हर कोई हमारे शक के दायरे में है। कोर्ट ने ये भी कहा कि आम्रपाली हमारे धैर्य की परीक्षा न ले।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले आम्रपाली के प्रमोटरों को निर्देश दिया था कि वे देश छोड़कर कहीं न जाएं। साथ ही रियल एस्टेट कंपनी को 2008 से लेकर अब तक के अपने प्रोजेक्ट्स की विस्तृत वित्तीय जानकारी देने को भी कहा था। वहीं कंपनी ने कोर्ट को बताया था कि उसने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया है उसके अधूरे और भावी प्रोजेक्ट्स को एनबीसीसी से पूरा करवाया जाए। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने पीठ से आग्रह किया था कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि कोर्ट के निर्देश पर बिल्डर ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजा है बल्कि बिल्डर ने खुद सरकार के समक्ष यह प्रस्ताव रखा है।

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