प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों के सेवाभाव, समर्पण, अदम्य साहस, सर्वोच्च बलिदान और शौर्य को नहीं भूलने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां राष्ट्रीय पुलिस दिवस के अवसर पर ‘राष्ट्रीय पुलिस स्मारक’ को राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा कि पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के अनवरत कर्तव्य पालन, सतर्कता और समर्पण के कारण देश में शांति की स्थापना हो रही है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में कमी, नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में कमी तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिंसा में कमी लाने में सुरक्षा बलों के जवानों का योगदान है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में खाकी वर्दी पहने वाले जवानों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। जवानों के कर्तव्य पालन और सेवा भाव का स्मरण करते  हुए प्रधानमंत्री भावुक हो गये और कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल के जवान तूफान में फंसे , बाढ से घिरे और गिरे हुए भवनों के मलबे में दबे लोगों की मदद के लिये अपने प्राणों की बाजी लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को यह मालूम भी नहीं है कि ये भी खाकी वर्दी के जवान है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा प्रबंधन, राहत एवं बचाव कार्य के दौरान बेहतर कार्य करने वाले पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिये ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’ के नाम पर एक राष्ट्रीय सम्मान देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह सम्मान प्रतिवर्ष प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान आपदा के समय जवानों के साहस, सेवाभाव और समर्पण का प्रदर्शन करने के लिये होगा।

मोदी ने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक की स्थापना में 70 वर्ष की देरी होने में पूर्ववर्ती सरकारों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके बारे में सोचा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पुलिस स्मारक और संग्रहालय देश के लोगों को प्रेरित करेगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी, संसदीय राज्य मंत्री विजय गोयल, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू और हंसराज गंगाराम अहीर मौजूद थे। इसके साथ सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस समारोह में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर ‘हॉट स्प्रिंग’ तीन जवानों को सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि यह स्मारक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की की प्राथमिकता में रहा है। यह स्मारक सरकार के इस दृष्टिकोण का प्रतीक है कि राष्ट्रीय निर्माण में शामिल सभी व्यक्तियों को सम्मान देना चाहिए।

उन्होंने डा. भीमराव अम्बेड़कर की स्मृति में स्थापित किये विभिन्न भवनों और स्माकरों का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने तकनीक की महत्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि पुलिस बल को अपने कर्तव्यपालन में तकनीक और नवाचार का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पुलिस को नागरिकों के प्रति मित्रता का व्यवहार अपनाना चाहिए।

वर्ष 1959 में चीनी सैनिकों के हमले में लद्धाख में ‘हॉट स्प्रिंग्स’ में शहीद हुए पुलिस जवानों की याद में प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मारक दिवस मनाया जाता है। इस स्मारक का निर्माण शांतिपथ के उत्तरी छोर पर चाण्क्यपुरी में 6.12 एकड़ भूमि पर सार्वजनिक क्षेत्र की निर्माण कंपनी एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड ने किया है। यह पुलिस स्मारक सभी राज्य, केन्द्र शासित प्रदेश पुलिस बलों एवं केन्द्रीय पुलिस संगठनों का प्रतिनिधितत्व करता है।

मोदी ने युद्ध स्मारक पर पुष्प चक्र चढ़ाकर शहीद जवानों को सलामी भी दी। इस मौके पर अन्य नेताओं ने भी स्मारक पर पुष्प चक्र चढ़ाया और शहीद जवानों को नमन किया। सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किये। इस अवसर पर सुरक्षा बलों के नौ दलों ने प्रधानमंत्री को सलामी भी दी। पुलिस स्मारक पर सुरक्षा बलों के विभिन्न अभियानों के दौरान शहीद हुए 34800 पुलिस अधिकारियों और जवानों के नाम लिखे गए हैं। शिलापटों पर 50 हजार जवानेां के नाम लिखे जा सकते हैं।

                        -साभार,ईएनसी टाईम्स

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