‘बुद्धमं शरणमं गच्छामि’ अर्थात् मैं बुद्ध की शरण लेता हूं। एस धम्मो सनंतनो अर्थात यही है सनातन धर्म। बु‍द्ध का मार्ग ही सच्चे अर्थों में धर्म का मार्ग है। दोनों तरह की अतियों से अलग एकदम स्पष्ट और साफ। आज बुद्ध पूर्णिमा है और पूरा देश महात्मा बुद्ध के विचारों और उपदेशों को जान औऱ समझ रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्त देशवासियों को बधाई दी। आज दिल्ली में पीएम मोदी बुद्ध जयंती समारोह का उद्धाटन करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय और इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन (आईबीसी) साथ मिलकर कर रहे हैं। इस समारोह से पहले पीएम मोदी  पवित्र अवशेषों के दर्शन करेंगे, जिन्हे आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर, विशेष तौर से राष्ट्रीय संग्रहालय से इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम लाया गया है।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर सभी देशवासियों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई दी।  पीएम मोदी ने भगवाग बुद्ध के दर्शन की अपनी कुछ तस्वीरें भी ट्विटर पर शेयर की हैं। उन्होंने तस्वीरों के साथ लिखा है कि मुझे अलग-अलग मौकों पर भगवान बुद्ध के दर्शन के मौके मिले। पीएम मोदी ने कहा कि  बुद्ध पूर्णिमा प्रत्येक भारतीय के लिए विशेष दिवस है। उन्होंने कहा, ‘हमें गर्व होना चाहिए कि भारत करुणा, सेवा और त्याग की शक्ति दिखाने वाले महा-मानव भगवान बुद्ध की धरती है, जिन्होंने विश्वभर में लाखों लोगों का मार्गदर्शन किया।’

बता दें कि मान्यताओं में कहा जाता है कि अवतारों की कड़ी में बुद्ध अंतिम हैं। उनके बाद प्रलयकाल तक कोई अवतार नहीं होने वाला है। हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के लिए बुद्ध का होना अर्थात धर्म का होना है। बुद्ध इस भारत की आत्मा हैं। बुद्ध को जानने से भारत भी जाना हुआ माना जाएगा। बुद्ध को जानना अर्थात धर्म को जानना है।
यह संयोग ही है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के ‍नीचे जाना कि सत्य क्या है और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए।

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