जैसा कि हमें मालूम है कि पीएम मोदी रविवार को देश से मन की बात करते हैं। इस मन की बात में वो आम जनता से लेकर सरकारी योजनाओं तक की बात बतलाते हैं। ऐसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी रविवार को देशवासियों से 42वीं बार अपने ‘मन की बात’ की। पीएम ने कार्यक्रम की शुरुआत में देशवासियों को रामनवमी की बधाई दी और कहा कि राम भारतीयों के हृदय में हैं। गांधी भी राम से प्रेरणा लेते थे। पीएम ने किसान, छात्रों, उद्योगों, डॉ.अंबेडकर और संस्कृत भाषा विषयों की बात की। उन्होंने कोमल ठक्कर नाम के व्यक्ति की तरफ से आए संस्कृत के ऑन लाइन कोर्स शुरू करने पर अपनी राय रखी। पीएम मोदी ने बताया, ‘कोमल जी संस्कृत के प्रति आपका प्रेम देखकर बहुत अच्छा लगा. मैंने सम्बंधित विभाग से इस ओर हो रहे प्रयासों की जानकारी आप तक पहुंचाने के लिए कहा है।

पीएम मोदी ने कहा, ‘पूज्य बापू के जीवन में ‘राम नाम’ की शक्ति कितनी थी वो हमने उनके जीवन में हर पल देखा है।’ आगे उन्होंने कहा, ‘आज पूरे विश्व में भारत की ओर देखने का नज़रिया बदला है। आज जब, भारत का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है तो इसके पीछे माँ-भारती के इन बेटे-बेटियों का पुरुषार्थ छुपा हुआ है।’  पीएम मोदी ने मन की बात में अहमद अली की अदम्य इच्छा शक्ति और डॉ अजीत मोहन चौधरी की बन्धु भाव की कहानी सुनाए। उन्होंने कहा कि  जब मुझे कानपुर के डॉक्टर अजीत मोहन चौधरी की कहानी सुनने को मिली कि वो फुटपाथ पर जाकर ग़रीबों को देखते हैं और उन्हें मुफ़्त दवा भी देते हैं। तब इस देश के बन्धु-भाव को महसूस करने का अवसर मिलता है।

उन्होंने कहा कि उद्योगों का विकास शहरों में ही संभव होगा यही सोच थी जिसके कारण डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर ने भारत के शहरीकरण, अर्बनाइजेशन पर भरोसा किया। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक ब्राइट स्पॉट के रूप में उभरा है और पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा एफडीआई भारत में आ रहा है। पूरा विश्व भारत को निवेश इनोवेशन और विकास के लिए हब के रूप में देख रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश में मेक इन इंडिया का अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है तो डॉक्टर अंबेडकर जी ने इंडस्ट्रीयल सुपर पावर के रूप में भारत का जो एक सपना देखा था- उनका ही विजन आज हमारे लिए प्रेरणा है। पीएम ने कहा डॉ. राम मनोहर लोहिया ने तो हमारे किसानों के लिए बेहतर आय, बेहतर सिंचाई-सुविधाएँ और उन सब को सुनिश्चित करने के लिए और खाद्य एवं दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर जन-जागृति की बात कही थी।

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