‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ नारे में पीएम मोदी ने जोड़ा ‘जय अनुसंधान’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान की मदद से नये भारत के निर्माण का आह्वान करते हुए गुरुवार को जय अनुसंधान का नारा दिया और वैज्ञानिकों से आम लोगों के लिए सुलभ, सुगम और सस्ते समाधान तैयार करने की अपील की। मोदी ने यहां लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में 106वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के मौके पर कहा कि देश ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी प्रगति की है लेकिन नये भारत के सपने के लिए अभी काफी कुछ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा। अब एक और कदम बढ़ाने का समय आ गया है। मैं इसमें जय अनुसंधान जोड़ना चाहता हूं।”

उन्होंने कहा कि विज्ञान वैश्विक होता है जबकि अनुसंधान की प्रकृति स्थानीय होती है। चुनौतियों से निपटने के लिए सुलभ, सुगम और सस्ते समाधान तैयार करने होंगे। उन्होंने कहा कि देश ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। कृषि​ पैदावार बढ़ी है, लेकिन नये भारत के सपने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। उन्होंने वैज्ञानिकों से बिग डाटा का इस्तेमाल कर खेती की उपज बढ़ाने के लिए सेंसर प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन प्रौद्योगिकी का पैकेज तैयार करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब रुकने, किसी और के नेतृत्व का इंतजार करने का वक्त नहीं है। अब हमें विज्ञान में दुनिया का में नेतृत्व करना होगा। सरकार हर तरह की मदद के लिए प्रतिबद्ध है। हमें विज्ञान की मदद से नया भारत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि ‘इज ऑफ डूईंग बिजनेस’ की तरह ही ‘इज ऑफ लिविंग’ पर भी तेजी से काम करना होगा।

मोदी ने वैज्ञानिकों के सामने चुनौतियां पेश करते हुये कहा कि क्या कम बारिश वाले इलाकों में सूखा प्रबंधन को विज्ञान की मदद से बेहतर बना सकते हैं। इससे कृषि का विकास तो होगा ही अनेक जिंदगी भी बचायी जा सकेंगी। क्या ऐसे तरीके ढूंढ़ सकते हैं जिनसे बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके, एन​सिफलाइटिस तथा चिकनगुनिया से मौतों को समाप्त किया जा सके। क्या हम रिसाइकिलिंग और कंजरवेशन की नयी तकनीक विकसित कर सकते हैं। क्या ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित कर सकते हैं कि संवेदनशील संस्थानों की साइबर सुरक्षा अभेद्य बनायी जा सके। उन्होंने कहा, “इन सवालों के जवाब खोजने होंगे। विज्ञान को आम लोगों के जीवन से जोड़ना होगा।”

उन्होंने कहा,“भारत के पास विज्ञान की मजबूत परंपरा है। हमें सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं दिखानी है। अपने अनुसंधान को उस स्तर पर ले जाना है ताकि दुनिया अपने—आप पीछे चलने लगे। यदि आने वाले समय में हमें ज्ञान आधारित समाज की कतार में खड़ा होना है तो अनुसंधान की क्षमता बढ़ानी होगी। अंतर—विषयी अनुसंधानों पर फोकस करना होगा। विधाओं के बंधन से मुक्त होकर अनुसंधान करना होगा।” प्रधानमंत्री ने राज्यों के विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में सीमित अनुसंधान होने पर चिंता जतायी। उन्होंने इन मुद्दों के समाधान का आह्वान किया। इस अवसर पर उनके साथ केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन, पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर, केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला, पंजाब के कैबिनेट मंत्री श्याम सुंदर अरोड़ा भी मौजूद थे।

केन्द्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत संचालित संस्था भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम का थीम ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का भविष्य’ रखा गया है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, पोलैंड, आस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस समेत 20 देशों के वैज्ञानिकों समेत 1500 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

साभार, ईएनसी टाईम्स

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