दो साल पहले यानि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलपीजी गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए गिव इट अप कैपेंन के शुरुआत की थी, जिसका मकसद था कि उच्च वर्ग के लोग गैस पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़कर बाज़ार मूल्य के अनुसार घरेलू प्रयोग के लिए एलपीजी गैस लें ताकि उन गरीब लोगों को गैस मिल सके जो इससे वंचित रह जाते हैं। मोदी जी के इस कैंपेन में उनका साथ देते हुए लोगों ने अपनी मर्जी से सब्सिडी छोड़ दी थी मगर अब दो साल बाद ग्राहक अपनी सब्सिडी वापस चाहते हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देशभर से 1 अप्रैल 2017 तक करीब 1 लाख 12 हजार लोगों के आवेदन प्राप्त हो चुके हैं जो अपनी सब्सिडी वापस चाहते हैं। इसको अब सब्सिडी वाले सिलेंडर के दामों में हुई भारी बढ़ोत्तरी से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
कितनी हुई बढ़ोत्तरी?
सितंबर 2016 में जहां बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 470 रुपए, सब्सिडी वाला 420 रुपए का था, वहीं अब अप्रैल 2017 में सब्सिडी वाला सिलेंडर 440 रुपए और बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 725 रुपए का हो गया है। गैस के बढ़ते हुए दाम के देखते हुए अब लोगों को लग रहा है कि सब्सिडी छोड़ उन्होंने गलती कर दी और अब गलती सुधारने के लिए सब्सिडी वापस चाहते हैं। इसी क्रम में 1.12 लाख लोग जो दो साल पहले सब्सिडी छोड़ चुके थे अब फिर से हासिल करने की मांग कर रहे हैं। इससे गिव इट अप कैपेंन को भारी झटका लगा है।
जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार सबसे ज्यादा आवेदन महाराष्ट्र से प्राप्त हुए हैं।