राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनना तो तय हो गया है लेकिन अब तक इस बात पर पेंच फंसा है कि मुख्यमंत्री का ताज किसके सिर पर सजेगा। रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत दो बड़े नाम हैं। 67 साल के अशोक गहलोत राहुल गांधी के प्रमुख सलाहकारों में से एक है। गुजरात चुनाव के दौरान पर्दे के पीछे गहलोत ही मुख्य भूमिका में थे। गहलोत कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं।

वहीं दूसरी तरफ, सचिन पायलट हैं। सचिन ने पांच साल राज्य की वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ सड़क पर संघर्ष किया है। वो युवा हैं और उनका दावा भी कम मजबूत नहीं है। सचिन पायलट की गिनती देश के कामयाब युवा नेताओं में होती है। सबसे कम उम्र के सासंद बनने से लेकर 36 साल की उम्र में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद संभालने वाले सचिन पायलट विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का स्टार चेहरा हैं। प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट के लिए यह चुनाव चुनौती और अवसर दोनों के रूप में है।

बता दें कि सचिन पायलट को उस दौर में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जब कांग्रेस महज 21 सीटों पर राजस्थान में सिमट गई थी, इसके बाद विपक्ष में रहते हुए सचिन पायलट ने पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर अपनी टीम बनाने के साथ सरकर को लगातार घेरा और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।

पार्टी के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए सचिन ने बीजेपी को सत्ता से बाहर फेंक राजस्थान में कांग्रेस को जीत दिलवाई। जिसके बाद राजस्थान की जनता चाहती है कि सचिन पायलट को राजस्थान की कमान सौंपी जाए।

राजस्थान के जैसलमेर में लोग बिना हिंसा के सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं। यही नहीं जयपुर के ग्राम भांकरोटा और डूंगरगढ़ से भी लोग सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने के लिए हवन और पूजा-पाठ कर रहे हैं।

 

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