झारखंड़ में खूंटी जिला के पत्थलगड़ी का स्वरूप बदलने लगा है। पहले पत्थलगड़ी में सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करने की बातें लिखी जाती थी, वहीं अब इसमें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की बातें अंकित की जा रही है। पत्थलगड़ी में यह बदलाव आया है खूंटी के मुरही पंचायत अंतर्गत हातूदामी गांव में। अब यहां विवादित पत्थलगड़ी में अंकित संविधान की धाराओं को मिटा कर उसे गांव के सीमाना पत्थल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।

हातूदामी पंचायत के प्रधान दशरथ कच्छप के अनुसार पूर्व में यहां के ग्रामीण बहकावे में आ गये थे। उन्हें नहीं पता था कि पत्थलगड़ी क्या है। वे इसे समझ नहीं पाये थे और इसी कारण विवादास्पद पत्थलगड़ी की गयी थी। ग्राणीणों ने माना कि पत्थलगड़ी में संविधान की गलत व्याख्या की गयी थी जो कि आदिवासी समाज की परंपरा के अनुसार भी नहीं था।

हातूदामी में 17 मई 2017 को पत्थलगड़ी की गयी थी। इससे पहले खूंटी के चितरामू गांव में 19 जुलाई को पत्थलगड़ी को गलत बताते हुए ग्रामीणों ने उसेउखाड़ दिया था। पत्थरों पर अब बच्चों को स्कूल भेजने, जल संरक्षण, जंगल बचाने और गांव को स्वच्छ बनाने का संदेश अंकित किये जा रहे हैं ।

इससे पहले ग्रामीणों ने ग्रामसभा में इसका निर्णय लिया और डीसी तथा एसडीओ को इसकी लिखित जानकारी भी दी। ग्रामीणों की इस पहल को जिला प्रशासन ने भी हाथों-हाथ लिया है।

बहरहाल, पत्थलगड़ी को लेकर ग्रामीणों का भ्रम टूट रहा है और अब वे खुद को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पहल कर रहे हैं। सरकार के लिए बेशक यह राहत की बात है,लेकिन साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इन गांवावलों का भरोसा सरकार से न टूटे। इसके लिए सरकारी योजनाओं को गांवों में उतारना होगा।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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