पंजाब विधानसभा द्वारा करतारपुर कॉरीडोर के लिए भारत से भूमि के टुकड़े की इस्लामाबाद से अदला-बदली की मांग वाले प्रस्ताव को पाकिस्तानी सरकार ने ठुकरा दिया है।
पाकिस्तानी विदेशी मामलों के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने कहा कि करतारपुर के संबंध में किसी प्रकार की भूमि की भारत से अदला-बदली करने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। करतारपुर कॉरीडोर तो सिख अल्पसंख्यक समुदाय को वीजा-फ्री कॉरीडोर उपलब्ध करवाने के लिए उनके निवेदन प्रति बढ़ाया गया एक दोस्ताना कदम था ताकि वह गुरुद्वारा साहिब के दर्शनों के लिए पाकिस्तान आ सके।
गौरतलब है पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें ऐतिहासिक करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को सीमा पार से भारतीय सीमा के भीतर लाने के लिए जमीन की अदला-बदली का सुझाव दिया गया। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से रावी के तट पर स्थापित करतारपुर साहिब की भूमि के एवज में 11,000 एकड़ जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव पेश किया था।
बता दें इससे पहले फिरोजपुर के हुसैनीवाला स्थित शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव का समाधि स्थल पहले पाकिस्तान के कब्जे में था। 1950 में इसे वापस लेने पर सहमति वापस बनी। करीब दस साल बाद 17 जनवरी 1961 को फाजिल्का के 12 गांव व सुलेमान की हेड वर्क्स पाकिस्तान को देने के बाद यह स्थल भारत को मिला।
1968 में इसे राष्ट्रीय समाधि स्मारक बनाया गया। गौरतलब है कि भगत सिंह राजगुरु व सुखदेव का अंतिम संस्कार सतलुज किनारे इसी भूमि पर हुआ था। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कुछ दिन पहले हुसैनीवाला की तर्ज पर करतारपुर की जमीन बदलने का मुद्दा उठाया था।