सोहराबुद्दीन शेख उसकी पत्नी कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में 13 साल बाद सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को बरी किया है। सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने कहा है कि षड्यंत्र के तहत तुलसीराम प्रजापति की हत्या की गई थी, यह आरोप सही नहीं है। पेश किए गए साक्ष्य और गवाह संतोषजनक नहीं। सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी मशीनरी और अभियोजन पक्ष ने काफी कोशिश की, 210 गवाहों को पेश किया गया लेकिन सरकारी पक्ष इस केस में कोई पुख्ता सबूत पेश करने मे नाकामयाब रहा। और मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए थे।

आपको बता दें कि इस महीने की शुरुआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा था कि वह 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे। ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी थे। अदालत ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया था। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा है क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरोपियों में शामिल थे। हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था। शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे।

सीबीआई के मुताबिक आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे।

सीबीआई के मुताबिक शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई। उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया। साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी। अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 92 मुकर गए। इस बीच, बुधवार को अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए। इनमें से एक का नाम आजम खान है और वह शेख का सहयोगी था।

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