गंगा की सफाई पर केंद्र की मोदी सरकार भले ही चितिंत दिखाई देती हो लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार की असलियत कुछ और है। गंगा के सफाई के नाम पर सिर्फ सरकार ने ‘हर हर गंगे’ किया है और कुछ नहीं।  अब सरकारी खर्चों का लेखा-जोखा रखने वाले नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (कैग) ने भी गंगा सफाई में सुस्ती पर सरकार को फटकार लगाई है। कैग के मुताबिक बीते 2 सालों में गंगा की सफाई के लिए आवंटित की गई कुल राशि की एक चौथाई रकम भी खर्च नहीं हुई है। कैग ने इसके लिए सरकार की वित्तीय योजना और प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है।

बता दें कि मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही गंगा की सफाई को एक महत्वपूर्ण उद्देश्य माना था और जनता से भी गंगा की सफाई के लिए अपील की थी। लेकिन कैग ने उन्हें खुद ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नैशल मिशन फॉर क्लीन गंगा प्रोग्राम के तहत अप्रैल, 2015 से लेकर मार्च, 2017 तक 6,700 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की थी। लेकिन, इस गंगा सफाई के लिए इस दौरान करीब 1660 करोड़ रुपये की राशि ही खर्च की जा सकी है।

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार अपने भाषणों में भी गंगा की सफाई की अपील करती रहती है। लेकिन जमीनी हकीकत में सरकार खुद लापरवाह है। संसद में पेश की गई कैग की 160 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘परफॉर्मेंस ऑडिट से यह खुलासा होता है कि फाइनैंशल मैनेजमेंट, प्लानिंग, इम्प्लिमेंटेशन और मॉनिटरिंग में खामी के चलते पर्याप्त राशि खर्च नहीं हुई।’ साथ ही  इस बारे में क्लीन गंगा मिशन पर काम करने वाले जल संसाधन मंत्रालय ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में सिर्फ जनता से ही हर हर गंगे कहलवाने से गंगा साफ नहीं होने वाली, यह बात सरकार को समझनी होगी।

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