उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के चंद दिन बाद ही योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान दिया था… और कहा था कि अपराधी अपराध छोड़ दें या फिर उत्तर प्रदेश छोड़ कर चले जाएं…

ये अपराध के खिलाफ बीते साल सरकार बनने के चंद दिन बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यलगार था… अपराध पर बात करते… उनकी मुट्ठियां भिंच जाती थी… वे जीरो टॉलरेंस की बात कहते अक्सर नजर आते हैं…

कानून व्यवस्था पर योगी अपनी सरकार की जमकर पीठ थपथपाते है… दावा करते हैं कि कैसे वे कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर देंगे… हालांकि सीएम योगी के दावों पर विपक्ष को यकीन नहीं है… पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की माने तो प्रदेश में अपराधी बेलगाम हैं… बदमाशों के जुल्म ओ सितम से जनता त्रस्त है… कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर पाने में योगी सरकार का एक साल बेकार चला गया है…

अखिलेश का दर्द समझा जा सकता है… आखिर बीजेपी ने सपा सरकार की घेराबंदी करते वक्त सबसे ऊपर कानून व्यवस्था को ही मुद्दा बनाया था… प्रदेश को अपराधमुक्त करने का वादा किया था… जनता ने बीजेपी के वादों पर एतबार करते हुए… उसे प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने का मौका दिया था… अब कसौटी पर योगी सरकार के एक साल का काम काज है… और जनता जवाब दे रही है कि आखिर कानून व्यवस्था के मोर्चे पर योगी सरकार कितने नंबर पाने में कामयाब हुई है… जनता की प्रतिक्रिया मिली जुली है… कुछ कानून व्यवस्था के बेहतर होने का दावा करते हैं… तो कुछ मानते हैं कि अभी भी काफी कुछ किए जाने की गुंजाइश है…

गुजरे एक साल में सरकार की साख बनी पर… साल पूरा होते-होते गोरखपुर और फूलपुर के नतीजों ने साख और कानून व्यवस्था के मोर्च पर किए गए काम पर सवालों को व्यापक बना दिया है… इस आशंका को सही साबित कर दिया है कि सरकार के फैसलों और जनता में उनकी डिलीवरी के बीच बड़ी खाई है… अफसरों की मनमानी और पुलिस के गैर जिम्मेदाराना रवैये को लेकर सरकार के प्रति लोगों में कहीं न कहीं कुछ नाराजगी है… कुछ ऐसे सवाल है, जिन्हें सरकार समझ नहीं पाई है… लोगों को इन पर आने वाले दिनों में समाधान का इंतजार रहेगा… सरकार को समाधान करने के लिए प्रयत्न करना होगा… अन्यथा चुनौती बढ़ेगी… शबाब तक खिली कमल की चमक वक्त के साथ फिकी पड़ जाएगी…

एपीएन ब्यूरो

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